Covid-19 Health Updates: ऑक्सीजन सेचुरेशन मापने का मिला फायदा, कम हुई वेंटीलेटर पर मरीजों की संख्या
देश में एक बार फिर रिकॉर्ड कोविड केस सामने आए हैं. लेकिन इनमें ज्यादातर लोग माइल्ड लक्षण वाले हैं या जिनमें लक्षण नहीं है. माइल्ड या एसिम्प्टोमेटिक मरीजों के लिए देश के कई राज्यों में होम आइसोलेशन के निर्देश दिए गए हैं. होम आइसोलेशन में मरीज स्वयं ही ऑक्सीजन सेचुरेशन माप रहे हैं, इससे देश में वेंटीलेटर पर रखने वाले कोविड मरीजों की संख्या कम हुई है.
Covid-19 Health Updates: देश में एक बार फिर रिकॉर्ड कोविड केस सामने आए हैं. लेकिन इनमें ज्यादातर लोग माइल्ड लक्षण वाले हैं या जिनमें लक्षण नहीं है. माइल्ड या एसिम्प्टोमेटिक मरीजों के लिए देश के कई राज्यों में होम आइसोलेशन के निर्देश दिए गए हैं. होम आइसोलेशन में मरीज स्वयं ही ऑक्सीजन सेचुरेशन माप रहे हैं, इससे देश में वेंटीलेटर पर रखने वाले कोविड (Covid-19) मरीजों की संख्या कम हुई है. लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली की डॉ. अपर्णा अग्रवाल बताती हैं कि पहले कि तुलना में सिवियरटी कम हो गई है और दूसरी यह कि वायरस के बारे में कुछ चीजें पता चल गई हैं कि वायरस कैसे प्रभावित कर रहा है.
इसलिए इससे डॉक्टरों कोविड मरीज को अच्छी तरह डील कर रहे हैं. किसे कब ऑक्सीजन देनी पड़ सकती है, उसके लिए हम ऑक्सीजन सेचुरेशन मॉनिटर करने लगते हैं. पहले संक्रमित होते ही मरीज भर्ती हो जाते थे कि कहीं ऑक्सीजन लेवल गिरा तो अस्पताल की जरूरत पड़ेगी, अब कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ऑक्सीजन सेचुरेशन मॉनिटर करने को कहा जाता है. जरूरत पड़ने पर ही अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पहले ऑक्सीजन लेवल कम होते ही सीधे वेंटिलेटर पर डालते थे. लेकिन अब जान गए हैं कि मरीज को उल्टा लेटाने से काफी हद तक ऑक्सीजन सेचुरेशन में सुधार होता है.
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अब ऑक्सीजन कॉनसंट्रेटर भी आ गए हैं. इसमें हाई लेवल तक ऑक्सीजन दे सकते हैं और वेंटिलेटर की जरूरत नही पड़ती. पहले लगता था लंग्स ही प्रभावित होते हैं इसलिए वेंटिलेशन करो. जबकि इसमें शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं. इसके अलावा कई दवाइयां आ गई हैं जो संक्रमण को कम करती हैं. प्लाजमा थैरपी भी काम कर रही है. मरीज के जल्दी आने, ऑक्सीजन सेचुरेशन खुद नापने और समय पर दवाइयां शुरू करने से स्थिति कंट्रोल हुई है.
सीरो सर्वे के नतीजे को कसै समझें
दिल्ली में सीरो सर्वे के नतीजों पर डॉ. अपर्णा ने कहा कि दिल्ली में सीरो सर्वे में पाया गया है कि एक चौथाई लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. यानी देश में जितने कनफर्म केस हैं, उनसे भी बहुत ज्यादा. एक तरह से ये अच्छा है कि भारी संख्या में लोग संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं. इसलिए डरने की जरूरत नहीं है. एक और बात ध्यान रखना है कि एक चौथाई तो हो चुके हैं, तीन चौथाई लोग अभी भी ऐसे हैं, जिन्हें कोविड का संक्रमण हो सकता है. इसलिए एहतियात रखना है, ज्यादा से ज्यादा समय तक घर में रहें और हैंड हाइजीन, मास्क आदि का ध्यान रखें.
उन्होंने कहा कि सीरो सर्वे में संक्रमित पाए लोग खुद ही ठीक भी हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल भी जाना पड़ा. इसके एक नहीं कई कारण मान सकते हैं. तमाम लोगों में कोरोना के लक्षण कम दिखाई दे रहे हैं या न के बराबर. ऐसा क्यों है, अभी पूरी तरह से नहीं पता, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि शरीर में कुछ ऐसे प्रोटीन होते हैं, जो वायरस से लड़ते हैं. जैसे ब्लड ग्रुप ए (blood group A) में संक्रमण का असर ज्यादा है और ओ (O) में कम. महिलाओं में संक्रमण कम है तो पुरुषों में ज्यादा. युवाओं और बुजुर्गों में अलग-अलग प्रभाव देखने को मिले. जिनकी इम्यूनिटी कम है या कोमोरबिडिटी के पेशेंट हैं, उनमें गंभीर असर दिखे.