Coronavirus Health Update: कोरोना से जुड़े सवाल और स्वास्थ्‍य विशेषज्ञों के जवाब, सार्वजनिक जगहों पर दी मास्क लगाने की सलाह

सरकार ने देश में हर व्‍यक्ति को सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाने की हिदायत दी है. दरअसल ऐसा नहीं करने पर संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है. अगर किसी ने मास्क नहीं लगाया है तो उसे टोकें. लोगों में जागरूकता जरूरी है. मास्क लगाना केवल खुद की सुरक्षा नहीं, बल्कि दूसरों की सुरक्षा का मामला भी है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Coronavirus Health Update: सरकार ने देश में हर व्‍यक्ति को सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाने की हिदायत दी है. दरअसल ऐसा नहीं करने पर संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है. अगर किसी ने मास्क नहीं लगाया है तो उसे टोकें. लोगों में जागरूकता जरूरी है. मास्क लगाना केवल खुद की सुरक्षा नहीं, बल्कि दूसरों की सुरक्षा का मामला भी है. अस्पताल, दुकान आदि में उन लोगों को भी सख्ती दिखानी चाहिए. कोरोना से जुड़े तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब अब भी लोग खोज रहे हैं.

प्रस्तुत हैं कोरोना से जुड़े सवाल जिनके जवाब सफदरजंग हॉस्पिटल की वरिष्‍ठ चिकित्सक डॉ. गीता कमपानी और सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली के डॉ. (लेफ्टिनेंट जनरल) वेद चतुर्वेदी ने दिये-

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क्या अब कोई भी कोरोना टेस्ट करा सकता है?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने टेस्ट को चार भागों में बांटा है. पहला- कंटेनमेंट जोन में जो संक्रमित के संपर्क में आये हैं या जिन्हें पहले से कोई बीमारी है. इसका रैपिड एंटीजन टेस्ट फिर RT-PCR होगा. दूसरा- नॉन कंटेनमेंट जोन में हैं, लेकिन संक्रमित के संपर्क में आये हैं. या जो विदेश से आये हैं, स्वास्थ्‍यकर्मी हैं, इनमें RT-PCR को वरीयता दी जाएगी. तीसरा- वे लोग जिनमें इंफ्लुएंजा के लक्षण हैं, गर्भवती महिलाएं, सर्जरी केस आदि का सीधे RT-PCR टेस्ट होगा. चौथा- कोई भी स्‍वयं जाकर बिना डॉक्टर के लिखे टेस्ट करा सकता है.

क्या डायरिया भी कोरोना के लक्षण में आता है?

कुछ लक्षण ऐसे हैं जो सामान्य लक्षण से अलग हैं. जैसे पेट दर्द और डायरिया, के लक्षण कुछ कोरोना मरीजों में पाये गए हैं. अगर आपके डॉक्टर को कोरोना की आशंका है, तो तुरंत जांच करायें.

महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु में मृत्यु दर ज्यादा क्यों है?

मृत्यु दर का किसी विशेष स्‍थान से कोई लेना-देना नहीं है. वायरस कितनी जल्दी शरीर में फैलेगा, यह वायरस के स्ट्रेन पर निर्भर करत है. दूसरी बात व्यक्ति की इम्युनिटी कैसी है और वायरस के शरीर में पहुंचने पर शरीर कैसे रिएक्ट करता है. इसके लिहाज से कुछ लोग एसिम्प्टोमेटिक होते हैं तो कुछ लोगों में वायरस गंभीर रूप ले लेता है.

WHO ने कहा है कि अगले वर्ष जून तक प्रभावी वैक्सीन आने की संभावना है, इसे कैसे समझें?

विश्व के कई देशों में वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं. बहुत सारी वैक्सीन फेज थ्री के ट्रायल में हैं. अब यह देखना है कि ये लोगों पर कैसे असर करती है. लोगों को वायरस से कितने दिन तक सुरक्षित रखती है. वैक्सीन सभी जरूरी चरणों से गुजरने के बाद ही बाजार में लाई जायेगी. यानी जिस वैक्सीन में जितना समय लगेगा वो उतनी ही कारगर होगी.

कुछ लोग एक ही मास्क को हमेशा लगाते रहते हैं, क्या यह सही है?

अगर किसी के पास कॉटन का मास्क है, तो उसे बार-बार धोकर लगाने में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन अगर सर्जिकल मास्क या डिस्पोजेबल मास्क है तो उन्हें एक बार प्रयोग करके नष्ट कर देना चाहिए. ऐसे मास्क को दोबारा धोकर प्रयोग नहीं करना चाहिए.

कोरोना काल में क्या कपड़ों को हर दिन धुलना जरूरी है?

अगर बाहर से आये हैं या अस्पताल से होकर आये हैं, तो कपड़ों को बदल लें और उन कपडों को साबुन पानी से धोकर सुखा लें. अलग-अलग सरफेस (surface) पर वायरस 1 से 9 दिन तक जिंदा रह सकता है. इसलिये कपड़ों को बिना धुले, ऐसे ही दूसरे कपड़ों के साथ या यहां-वहां न रखें बल्कि तुरंत धुलें.

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क्या देश में कोरोना का पीक आ चुका है?

100 साल पहले स्पैनिश फ्लू दो साल चला था. इसलिये ये मान कर चलना है कि ये महामारी भी लंबी चलेगी. बीमारी का पीक, वायरस के स्ट्रेन , आदि सब रिसर्च के लिये हैं. आम लोगों को बस बचाव करने के बारे में सोचना चाहिए. अगर मास्क लगा कर रहेंगे, हैंड हाइजिन और सोशल डिस्टेंसिग रखेंगे तो ही बचे रहेंगे. और अगर संक्रमित हो भी गए तो शरीर में वायरस लोड कम रहेगा. ऐसे लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं.

क्या मास्क वायरस का रोकने में सक्षम नहीं है?

कॉटन मास्क, सर्जिकल मास्क और एन95 मास्क वायरस से कितना सुरक्षित रखता है, इस पर बहुत गहन अध्ययन किया जा चुका है. अगर मास्क सुरक्षा नहीं देता तो इसे लगाने के लिए क्यों कहा जाता. भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मास्क लगाने को कहा जा रहा है. सोशल मीडिया पर अफवाहों पर मत जाएं. सोशल मीडिया पर भी केवल विश्‍वसनीय स्रोतों पर ही विश्वास करें.

एक दिन में 11 लाख से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं, टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ाना कितना जरूरी है?

टेस्टिंग से वास्‍तव‍िक परिस्थिति पता चलती है, कि वायरस के किस तरह के लक्षण आ रहे हैं, कितने लोग गंभीर हैं और कितने लोग जल्दी रिकवर हो रहे हैं. यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है, इसलिये लोगों को जल्दी संक्रमित कर रहा है. ऐसे में टेस्ट (test) बढ़ायेंगे तभी संक्रमितों तक पहुंच पायेंगे और उन्हें आइसोलेट कर पायेंगे.

अगर वायरस के स्ट्रेन बदल रहे हैं तो वैक्सीन कैसे काम करेगी?

पूरे विश्व में अलग-अलग देश वैक्सीन बना रहे हैं. खास बात ये है कि कोरोना विश्व के सभी देशों में है और उन देशों में भी म्यूटेट हुआ है. सभी उसी के आधार पर वैक्सीन बना रहे हैं. वैज्ञानिकों को पता है कि वायरस का म्यूटेशन हो सकता है, इसलिये इसके बारे में सोच कर तनाव न लें. अगर भारत या दुनिया में कहीं भी वैक्सीन आ जाती है, तो भारत के पास क्षमता है कि वह अपने नागरिकों तक वैक्सीन पहुंचा सकता है.

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