Gorakhmundi: यौन रोगों से गठिया तक के तमाम रोगों के लिए रामबाण है गोरखमुंडी! जानें कब कैसे करें इस्तेमाल!

भारत में चमत्कारिक जड़ी-बूटियों से युक्त औषधियों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. ऐसी ही एक सुगंधित जड़ी-बूटियों से युक्त है गोरखमुंडी. भारत के लगभग हर वन्य प्रदेशों में आसानी से उपलब्ध होने वाला गोरखमुंडी आमतौर पर बरसात में बोया जाता है और सर्दी के आते-आते इसमें फल-फूल लगने लगते हैं. इसके पश्चात ये इस्तेमाल करने योग्य हो जाते हैं.

गोरखमुंडी के फायदे (Photo Credits: Pixabay)

भारत में चमत्कारिक जड़ी-बूटियों से युक्त औषधियों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. ऐसी ही एक सुगंधित जड़ी-बूटियों से युक्त है गोरखमुंडी. भारत के लगभग हर वन्य प्रदेशों में आसानी से उपलब्ध होने वाला गोरखमुंडी (Gorakhmundi) आमतौर पर बरसात में बोया जाता है और सर्दी के आते-आते इसमें फल-फूल लगने लगते हैं. इसके पश्चात ये इस्तेमाल करने योग्य हो जाते हैं. कभी-कभी ग्रीष्मकाल में गोरखमुंडी के पौधे धान के खेतों में भी नजर आ जाते हैं. गोरखमुंडी वस्तुतः तमाम औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इनका इस्तेमाल आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा आदि के अंतर्गत विभिन्न छोटे-बड़े रोगों के लिए किया जाता है. मधुमेह, बुखार, खांसी, पाचन, पीलिया, पेट के कीड़ों इत्यादि रोगों के उपचार के लिए इसके पौधों, पत्तियों, जड़ों एवं फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. आइये जानें गोरखमुंडी के विभिन्न हिस्सों का इस्तेमाल किन-किन रोगों के लिए किस रूप में किया जाता है, और ये किस हद तक लाभकारी हो सकते हैं.

क्या है गोरखमुंडी की प्रकृति?

गोरखमुंडी के फल एवं फूल का स्वाद आम जड़ी-बूटियों की तरह कड़वा और कसैला होता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. यानी किसी रोग विशेष के लिए इसका सेवन करने पर यह निर्दीष्ट रोग पर तो नियंत्रित करता ही है, साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. यह जीवाणुरोधी (Anti Bacterial) एवं कवकरोधी (Anti Fungal) होता है.

शरीर से बदबू आने पर

पसीने अथवा किन्हीं अन्य वजहों से शरीर से बदबू आ रही है तो करीब डेढ़ ग्राम गोरखमुंडी का पाउडर पानी गटक जायें. शरीर के बदबू से छुटकारा मिलेगा. अगर दो-तीन में बदबू नहीं जाती है तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सुझाव लें.

आंखों में पीड़ा होने पर

ताजे गोरखमुण्डी के रस को तांबे के बर्तन में रखें. अब नीम की टहनी से इसे घुमायें. जब उसका रंग काला हो जाये तो उसमें रुई को अच्छी तरह भिगो कर सुखा लें. रूई को दुखती आंखों पर पानी से भिगोकर रखें. आंखों की पीड़ा को राहत मिलेगा.

गले में खराश होने पर

गोरखमुंडी के फलों को सुखाकर उसका चूर्ण बनायें. करीब 50 ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर में 10 ग्राम सूखे अदरख (सोंठ) का पाउडर मिलाकर रख बोतल में पैक कर लें. प्रतिदिन करीब एक से डेढ़ ग्राम पाउडर में शहद मिलाकर चाटें. कुछ ही दिनों में इससे लाभ मिलेगा.

ह्रदय को स्वस्थ बनाने के लिए

गोरखमुंडी के जड़ के काढ़े का सेवन करने से सीने में दर्द एवं चुभन होने पर आराम मिलता है. इसके अलावा गोरखमुंडी के फल का अर्क भी फायदेमंद होता है. लेकिन जब तक इसका सेवन करें तब तक खट्टी, गर्म वस्तुओं एवं हस्तमैथुन आदि से दूर रहना चाहिए. यह भी पढ़ें : Gorakhmundi: यौन रोगों से गठिया तक, इन बीमारियों के लिए रामबाण है गोरखमुंडी! जानें कब और कैसे करें इस्तेमाल!

पेट में कीड़े की शिकायत होने पर

पेट में कीड़े की शिकायत होने पर लगभग एक से डेढ़ ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर को सुबह शाम फांक कर शुद्ध जल पीएं. कीड़ मल के रास्ते निकल जायेंगे. इसके अलावा 10 ग्राम एरंड के तेल (Castor Oil) में 2 से 3 ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर को दिन में दो बार लेने से जलोदर नामक रोग में भी लाभ पहुंचेगा.

यौन रोगों के उपचार हेतु

महिलाओं की योनि में दर्द की शिकायत होने पर गोरखमुंडी के लेप को एरंड के तेल में भूनकर ठंडा होने दें. इस पेस्ट को योनि में लेप करने से योनि में राहत मिलेगी.

बवासीर होने पर

बवासीर की शिकायत होने पर 1 से 2 ग्राम गोरखमुंडी का पाउडर छाछ अथवा गाय के दूध के साथ मिलाकर रात में सोने से पूर्व पी लें, एक सप्ताह तक लगातार इसका सेवन करें. बवासीर से छुटकारा मिलेगा. इसके अलावा गोरखमुंडी के कुछ पत्तों के साथ एरंड के पत्तों को पीसकर इसका रस निकाल लें. लगभग पांच मिली रस दिन में एक बार मरीज को पिलायें. इसके पत्तों को कूट कर इसकी लुगदी बनाकर मस्सों पर कुछ घंटों के लिए बांधने से भी बवासीर से राहत मिल सकती है.

गठिया के मरीजों के लिए

गठिया के मरीजों को 30 ग्राम गोरखमुंडी और 10 ग्राम कुटकी के पाउडर को मिलाकर एक शीशी में सुरक्षित रख लें. अब प्रतिदिन इसके दो ग्राम पाउडर को शहद में मिलाकर लेने से गठिया में राहत मिलती है.

सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने के लिए

गोरखमुंडी के पौधों को छांव में सुखाकर बारीक पीस लें. अब इसमें मिश्री को पीसकर मिला लें. प्रतिदिन सुबह शाम एक छोटा चम्मच पाउडर को दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से शारीरिक कमजोरी बढ़ती है. इसके अलावा गोरखमुंडी के बीजों को सुखाकर पीस लें इसमें समान मात्रा में पीसा हुआ शक्कर मिलाकर प्रतिदिन दो से तीन ग्राम पानी के साथ पीएं. इससे सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ता है.

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