Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2023 Date: कब है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत? जानें इस व्रत का महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा विधि!

सनातन धर्म के अनुसार भगवान गणेश जी की पूजा करने से सारे विघ्न मिट जाते हैं, और जातक की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. गणेश जी की पूजा के लिए हमारे धर्म शास्त्रों में माह में दो विशिष्ट दिन विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी निर्धारित किया है.

Sawan Sankashti Chaturthi 2023 (Photo Credit- File Image)

सनातन धर्म के अनुसार भगवान गणेश जी की पूजा करने से सारे विघ्न मिट जाते हैं, और जातक की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. गणेश जी की पूजा के लिए हमारे धर्म शास्त्रों में माह में दो विशिष्ट दिन विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी निर्धारित किया है. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी गणाध्यक्षाय संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस वर्ष 30 नवंबर को मनाई जाएगी. इस विशेष दिन गणेश जी की पूजा और व्रत करने से जीवन के सारे दुख-दर्द दूर होते हैं. आइए जानते हैं गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व, मूल तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि इत्यादि.

गणधिप चतुर्थी का महत्व

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी किसी भी गणेश भक्त के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्रत है. मान्यता है कि जो भक्त इस व्रत के नियमों का पूरी निष्ठा से पालन करते हैं, और शुभ मुहूर्त में गणेश जी की उपासना करते हैं, गणेश जी की कृपा से उन्हें सौभाग्य, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. 'गणाधिप' शब्द उन गणों की श्रेणियों के नेतृत्व को संदर्भित करता है, जिसकी अध्यक्षता भगवान गणेश करते हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण एवं कठिन व्रत है. इस दिन श्रद्धालु सूर्योदय से चंद्रोदय तक कठोर निर्जला उपवास रखते हैं और संध्याकाल में भगवान गणेश की पूजा करने के पश्चात चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं. यह भी पढ़ें : Mahatma Jyotiba Phule Quotes In Marathi: महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर उनके ये 10 महान विचार शेयर कर करें याद

गणाधिपति संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी प्रारंभ: 02.24 PM ( 30 नवंबर 2023)

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी समाप्त: 03.31 PM ( 01 दिसंबर 2023)

चूंकि संकष्टी चतुर्थी की पूजा सायंकाल को होती हैं, इसलिए गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान 30 नवंबर 2023 को रखा जाएगा.

चंद्रोदय: 07.54 PM (30 नवंबर 2023)

गणाधिप पूजा-विधि:

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी को ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि से निवृत्ति होकर लाल वस्त्र धारण कर गणेश जी का ध्यान करें, और व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. घर के मंदिर की अच्छे से सफाई करें. लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर विघ्न विनाशक श्रीगणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. शाम के समय मंदिर के समक्ष उत्तर की ओर मुंह करके बैठें. धूप दीप प्रज्वलित करें. और निम्न श्लोक का उच्चारण करें

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा

अब गणेश जी की प्रतिमा पर पहले पंचामृत और इसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं. लाल पुष्प, लाल चंदन, सुगंध, दूर्वा की 21 गांठें अर्पित करें. भोग में गणेश जी को मोदक या तिल का लड्डु चढ़ायें. चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें और उनकी आरती उतारें. इसके पश्चात व्रत का पारण करें.

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