World Wildlife Conservation Day 2020: विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस आज, जानें दुनिया के 7 लुप्तप्राय जानवरों से जुड़ी रोचक बातें
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन डे यानी विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है. यह एक एक्शन इवेंट है, जो संरक्षणवादियों के साथ जुड़ता है और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके वन्यजीव प्रजातियों के बारे में जागरूकता पैदा करता है. विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस पर विश्व के 7 लुप्तप्राय जानवरों की प्रजाति से जुड़ी रोचक बातें आप जरूर जानना चाहेंगे.
World Wildlife Conservation Day 2020: वर्ल्ड वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन डे यानी विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस (World Wildlife Conservation Day) हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है. जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह एक ऐसा दिन है जो वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) के बारे में जागरूकता बढ़ाता है. विश्व वन्यजीव दिवस एक एक्शन इवेंट है, जो संरक्षणवादियों के साथ जुड़ता है और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके वन्यजीव प्रजातियों के बारे में जागरूकता पैदा करता है. वनक्षेत्रों में मानव अतिक्रमण, जानवरों का अवैध शिकार, उनके अंगों का व्यापार इत्यादि गतिविधियों के कारण कई वन्यजीवों का अस्तिस्व खतरे में पड़ गया है. इसी तरह बढ़ते प्रदूषण के कारण कई समुद्री जानवरों की मौत भी हुई है. आइए विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस पर जानते हैं विश्व के 7 लुप्तप्राय जानवरों (Endangered Animals) की प्रजाति से जुड़ी रोचक बातें.
1- जावन गैंडा (Javan Rhinoceros)
गैंडों को उनके विशिष्ट सींगों के लिए जाना जाता है, लेकिन उनकी यह खासियत उनके अवैध शिकार का कारण बन गई है. राइनों के सींगों का इस्तेमाल कुछ दवाओं में किया जाता है और इसका अवैध व्यापार भी किया जाता है. वैसे तो गैंडों की सभी प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन जावन राइनो प्रजाति सबसे ज्यादा खतरे में है. विलुप्त होने की बेहद करीब पहुंच चुकी इस प्रजाति के 40 से 60 जानव गैंडों जंगल में छोड़ा गया.
2- हिम तेंदुआ (Snow Leopard)
हिम तेंदुए भारत, चीन, नेपाल, अफगानिस्तान, रूस और मंगोलिया के ऊंचे पहाड़ों में पाए जाते हैं. जंगलों में करीब 4,080 से 6,590 तेंदुए होने का अनुमान है.
3- हॉक्सबिल कछुए और लेदरबैक समुद्री कछुए (Hawksbill Turtle and Leatherback Sea Turtles)
आपके पास लाखों अंडे देने वाले कछुए हो सकते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही वास्तव में महासागरों में विकसित होने के लिए जीवित रहते हैं. समुद्री कछुओं की सबसे लुप्तप्राय प्रजातियों में हॉक्सबिल कछुए और लेदरबैक समुद्री कछुए शामिल हैं. इन समुद्री प्रजातियों का शिकार उनके मांस, शेल्स और स्किन के लिए किया जाता है.
4- साओला (Saola)
शायद आपने इस जानवर के बारे में कभी नहीं सुना होगा, क्योंकि यह पृथ्वी के सबसे दुर्लभ स्तनधारी प्राणी हैं. इस प्रजाति को पहली बार 1992 में वियतनाम में एनामाइट रेंज में खोजा गया था और वहीं पाया जाता है. इसकी खोज 20वीं शताब्दी में सबसे शानदार खोजों में से एक माना जाता है. इसकी मायावी प्रकृति के कारण इसे एशियन यूनिकॉर्न भी कहा जाता है.
5- पर्वतीय गोरिल्ला (Mountain Gorilla)
इस प्रजाति के गोरिल्ला उच्च पर्वत श्रृंखला में करीब 8 हजार फीट की ऊंचाई पर रहते हैं. इनकी आबादी करीब 1 हजार के आसपास है, जो उन्हें लुप्तप्राय बनाता है. वे स्वभाव से थोड़े आक्रामक होते हैं, जिसे अक्सर गलत समझा जाता है और इस तरह से वे आसानी से शिकारियों का शिकार बन जाते हैं. आवास अतिक्रमण उनकी आबादी के लिए एक बड़ी समस्या है. यह भी पढ़ें: International Dog Day 2020: कुत्ते क्यों होते हैं इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त, इन वजहों को जानकर आप भी इस जानवर को पालना चाहेंगे
6- तस्मानियन डेविल (Tasmanian Devil)
डिज्नी कार्टून के भूखे जानवर के बारे में शायद आपको याद हो. जी हां, हम बात कर रहे हैं तस्मानियन डेविल की. दुनिया के सबसे बड़े मांसाहारी मार्सपियल्स तस्मानियन डेविल्स विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं. साल 2008 में एक संक्रामक कैंसर के कारण इनकी 60 फीसदी आबादी खत्म हो गई थी. ऐसा कहा जाता है कि अब इस प्रजाति की केवल 20,000 आबादी ही शेष है.
7- ध्रुवीय भालू (Polar Bear)
ध्रुवीय भालू जो आमतौर पर आर्कटिक क्षेत्र में पाए जाते हैं, उनकी संख्या भी कम हो रही है. सफेद रंग के भालू की यह प्रजाति काफी लोकप्रिय है और ये मांसाहारी होते हैं. जलवायु परिवर्तन से समुद्री आवास की हानि और जीवित रहने के लिए भोजन उपलब्ध न होने के कारण इनकी संख्या तेजी से कम हो रही है. साल 2008 के बाद से उन्हें एक खतरनाक प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
ये कुछ ऐसे जानवर हैं जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं. विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस पर यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि किन जानवरों को संरक्षण की सबसे अधिक आवश्यकता है और हम कैसे उनके कल्याण व संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं. गौरतलब है कि ऐसे कई कार्यक्रम हैं, जिनके जरिए विश्व की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए अभियान शुरु किए गए हैं.