World Eye Donation Day 2021: नेत्रदान है महादान, इससे आप किसी नेत्रहीन की अंधेरी दुनिया को कर सकते हैं रौशन

प्रत्येक वर्ष 10 जून को विश्व नेत्रदान मनाया जाता है, ताकि दूसरों की अंधेरी दुनिया को रोशन करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद नेत्रदान करने वालों का आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं है.

विश्व नेत्रदान दिवस (Photo Credits ANI)

World Eye Donation Day 2021: प्रत्येक वर्ष 10 जून को विश्व नेत्रदान मनाया जाता है, ताकि दूसरों की अंधेरी दुनिया को रोशन करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद नेत्रदान करने वालों का आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं है. जहां तक भारत की बात है तो यहां नेत्रदान एवं कोर्निया प्रत्यारोपण के वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें तो जानकर हैरानी होती है कि ऩेत्रदान करने वालों की संख्या एक फीसदी से भी कम है. यही वजह है कि देश में 25 हजार से ज्यादा लोग आज भी अंधेरी दुनिया में जी रहे हैं. देश में प्रत्येक वर्ष 80 से 90 लाख लोगों की मृत्यु होती है, लेकिन नेत्रदान 25 हजार के आसपास ही होता है. यह दिवस विशेष इसीलिए मनाई जाती है कि लोग मृत्यु से पहले अपनी आंखें दान कर अंधरे में जी रहे लोगों के जीवन में उजाला भर सकें.

एक व्यक्ति 4 लोगों को दे सकता है रोशनी

वर्तमान में एक व्यक्ति मृत्यु के पश्चात चार लोगों की अंधेरी जिंदगी में उजाला बिखेर सकता है. पहले दोनों आंखों से दो ही लोगों को कोर्निया मिल पाती थी, लेकिन नई तकनीक आने के बाद से एक आंख से दो कोर्निया प्रत्यारोपित की जा रही है. डी मेक से होने वाला यह प्रत्यारोपण देश के हर बड़े आंखों के अस्पताल में शुरु हो चुका है. इसमें खास बात यह है कि व्यक्ति के मरने के बाद उसकी पूरी आंख नहीं बदली जाती. केवल रोशनी वाली काली पुतली ही ली जाती है. व्यक्ति की मृत्यु के छह घंटे तक ही कार्निया प्रयोग में लाई जा सकती है. आई बैंक एसोसियेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में अभी 25 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें कार्निया की जरूरत है. अगर उन्हें समय रहते किसी की कोर्निया मिल जाये तो वह प्रकृति की खूबसूरती को देख सकते हैं. यह भी पढ़े: World Blood Donor Day 2020: रक्तदान दे सकता है दूसरों को जीवन दान, जानें इस दिवस का इतिहास और महत्व

क्या है नेत्रदान की प्रक्रिया

यह प्रक्रिया अत्यंत सरल है, और महज 15-20 मिनट में ही पूरी हो जाती है. नेत्रदान प्रक्रिया के कारण अंतिम संस्कार में किसी तरह का विलंब नहीं होता है. कोई भी व्यक्ति अपना नेत्र गुप्त रूप से दान कर सकता है, जो उसकी मृत्यु के पश्चात एक मामूली से ऑपरेशन के जरिये आंखों से कोर्निया को निकाल लिया जाता है. इससे मृत व्यक्ति के शरीर में किसी तरह का परिवर्तन नहीं होता. नेत्रदान की बात को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है. नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार आंखे कभी भी वृद्ध नहीं होतीं, इसलिए इसके लिए किसी तरह की उम्र सीमा नहीं होती. एक वृद्ध व्यक्ति भी अपनी इच्छानुसार अपनी आंखें दान कर सकता है. नेत्रदान करके आप की आंखें अजर अमर बन सकती हैं.

आइये संकल्प लें अंधेरी दुनिया में रोशनी बिखेरने की

नेत्र दान जैसे सबसे बड़े दान को बढ़ावा देने के लिए देश के तमाम आई बैंक और सामाजिक संस्थाएं इस दिन विशेष रूप से देश भर में जागरुकता कार्यक्रम चलाये जाते हैं. एक मृत व्यक्ति के नेत्र को एक नेत्रहीन को देकर उसके अंधेरे जीवन में उजाला किया जा सकता है. आइये संकल्प लें कि हम जीते जी अपना आंख दान कर अंधेरी दुनिया को रोशनी दें. आप अपने निकटतम अस्पताल से संपर्क कर नेत्रदान के लिए पंजीकरण करा सकते हैं. किसी की दुनियां में उजाला फैलाने के लिए एक कदम आगे बढ़ाइए.

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