Vasu Baras 2024 Greetings: शुभ वसु बारस! इन शानदार WhatsApp Stickers, HD Images, Photo Wishes, Wallpapers के जरिए दें बधाई
गोवत्स द्वादशी यानी वसु बारस के दिन गाय और बछड़ों को सजाकर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनके प्रति सम्मान जाहिर किया जाता है. इस दिन पवित्र पशु को चना और अंकुरित मूंग जैसी कई चीजें खिलाई जाती हैं, साथ ही पर्व की शुभकामनाएं दी जाती हैं. ऐसे में इस अवसर पर आप इन शानदार ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, एचडी इमेजेस, फोटो विशेज, वॉलपेपर्स के जरिए वसु बारस की बधाई दे सकते हैं.
Vasu Baras 2024 Greetings: हर साल पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) की शुरुआत धनतेरस (Dhanteras) से होती है, जबकि उससे ठीक एक दिन पहले यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi) का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल गोवत्स द्वादशी का त्योहार 28 अक्टूबर 2024 को मनाया जा रहा है. इस पर्व को महाराष्ट्र में गोवत्स द्वादशी को वसु बारस (Vasu Baras), गुजरात में बाघ बारस (Vagh Baras) या बछ बारस (Bach Baras) के नाम से जाना जाता है, जबकि आंध्र प्रदेश में इसे श्रीपाद श्री वल्लभ (Sripada Sri Vallabha) के श्रीपाद वल्लभ आराधना उत्सव (Sripada Vallabha Aradhana Utsav) के तौर पर मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए गौ माता की पूजा की जाती है. श्रीकृष्ण भी स्वंय गाय की सेवा करते थे, क्योंकि उन्हें गौ माता अतिप्रिय है. कहा जाता है कि गौ-भक्ति और गौ-सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है.
गोवत्स द्वादशी यानी वसु बारस के दिन गाय और बछड़ों को सजाकर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनके प्रति सम्मान जाहिर किया जाता है. इस दिन पवित्र पशु को चना और अंकुरित मूंग जैसी कई चीजें खिलाई जाती हैं, साथ ही पर्व की शुभकामनाएं दी जाती हैं. ऐसे में इस अवसर पर आप इन शानदार ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, एचडी इमेजेस, फोटो विशेज, वॉलपेपर्स के जरिए वसु बारस की बधाई दे सकते हैं.
भविष्य पुराण के मुताबिक, गाय के पृष्ठदेश में ब्रह्मा, गले में विष्णु, मुख में रुद्र, मध्य में समस्त देवी-देवता, रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में सभी पर्वत, नेत्रों में सूर्य-चंद्र, गौमूत्र में सभी पवित्र नदियों का वास माना जाता है. ऐसे में इस दिन गाय और बछड़े की पूजा व सेवा से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, गौ माता के पूजन से सिर्फ देवी-देवता ही प्रसन्न नहीं होते हैं, बल्कि इससे पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, इसलिए गोवत्स द्वादशी पर गौ माता की पूजा कर उनके प्रति सम्मान जाहिर किया जाता है.