Udham Singh Death Anniversary: सरदार उधम सिंह भारत मां के वो सपूत, जिन्होंने लिया था जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला
सरदार उधम सिंह काम्बोज का नाम लेते ही देश के प्रत्येक व्यक्ति में देश प्रेम का जज्बा सिर चढ़कर बोलने लगता है. शहीद उधम सिंह उन वीर सपूतों में से एक हैं जिनकी बदौलत हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं. उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं जिन्होंने देश के इतिहास को अपने खून से लिखा. आज शहीद उधम सिंह को उनकी पुण्य तिथि पर उनकी शहादत के लिए देश याद कर रहा है.
Udham Singh Death Anniversary 2020: सरदार उधम सिंह (Udham Singh) काम्बोज का नाम लेते ही देश के प्रत्येक व्यक्ति में देश प्रेम का जज्बा सिर चढ़कर बोलने लगता है. शहीद उधम सिंह उन वीर सपूतों में से एक हैं जिनकी बदौलत हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं. उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं जिन्होंने देश के इतिहास को अपने खून से लिखा. आज शहीद उधम सिंह को उनकी पुण्य तिथि पर उनकी शहादत के लिए देश याद कर रहा है. उधम सिंह भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे. उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ ड्वायर को लन्दन में जाकर गोली मारी थी. वही जनरल ड्वायर जिसके आदेश पर जलियॉंवाला बाग में हजारों लोगों को अंग्रेजी फौज ने गोलियों से भून डाला.
26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में पैदा हुए उधम सिंह की मां हरनाम कौर का निधन तब हुआ जब वो मात्र 2 वर्ष के थे. उसके बाद जब वे आठ वर्ष के थे, तब 1907 में उनके पिता सरदार टहल सिंह का निधन हो गया. इसके बाद उन्हें अपने भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी. उनके पिता उन्हें शेर सिंह कहकर बुलाते थे और उनके भाई का नाम मुक्ता सिंह था. केंद्रीय खालसा अनाधालय, पुतलीनगर अमृतसर में जब उनका पंजीकरण हुआ तो उनका नाम शेर सिंह से उधम सिंह हो गया और उनके भाई का नाम साधु सिंह पड़ गया.
देश व धर्म की रक्षा के लिए शहीद उधम सिंह व अन्य वीरों की तरह हमेशा तैयार रहते थे. वे सरदार भगत सिंह को अपना रोल मॉडल मानते थे. वे आगे चलकर घदर पार्टी के सक्रिय सदस्य बने और घदर दी गूंज नाम का अखबार निकाला, जिसमें अंग्रेजों के खिलाफ खबरें छपने की वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया. दोनों भाईयों ने अमृतसर के अनाथालय में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की. 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में आयोजित सम्मेलन में अंग्रेज जरनल ड्वायर द्वारा बेकसूर भारतीयों पर गोलियां चलाई गई, जिसमें लगभग 3 हजार लोगों की हत्या कर दी गई. उस समय वहां उधम सिंह की पानी पिलाने की ड्यूटी लगाई गई थी. इस हत्या कांड से उधम सिंह को गहरा अघात लगा और उन्होंने कसम खाई कि वे इस हत्याकांड का बदला जरूर लेंगे.
उन्होंने 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को इंग्लैड में जनरल डायर (Reginald Dyer) को गोली मारकर उन मासूमों का बदला पूरा किया जिनकी हत्या जलियांवाला बाग में की गई थी. उसके तुरंत बाद अंग्रेजों ने उनको गिरफ्तार किया और इग्लैंड में ही 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई. जिस रिवॉल्वर से उन्होंने जनरल ड्वायर को मारा था, वो आज भी स्कॉटलैंड यार्ड के ब्लैक म्यूजियम में रखा हुआ है. उसके साथ एक चाकू, ड्वायरी और कुछ गोलियां म्यूजियम में रखी हैं. बलिदान के 34 वर्ष बाद शहीद उधम सिंह के अवशेषों को इग्लैंड से भारत लाया गया और उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया गया. आजादी के बाद भी भारत के वीरों में उनको याद किया जाता है.