Tulsi Vivah 2024 Messages: हैप्पी तुलसी विवाह! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, GIF Greetings और Photo SMS
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी विवाह करने से दांपत्य जीवन में चली आ रही समस्याएं समाप्त होती हैं. इसके साथ ही लक्ष्मी-नारायण की कृपा से घर-परिवार के लोगों को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस को शेयर कर हैप्पी तुलसी विवाह कह सकते हैं.
Tulsi Vivah 2024 Messages in Hindi: हिंदू धर्म में तुलसी (Tulsi) के पौधे का बहुत महत्व बताया जाता है. तुलसी को माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) का स्वरूप माना जाता है और कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, उस घर में सदैव सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. वहीं हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को माता तुलसी और भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के शालिग्राम (Shaligram) स्वरूप का विवाह आयोजित किया जाता है. इस साल उदयातिथि के आधार पर 13 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन भक्त व्रत रखकर तुलसी-शालिग्राम की पूजा करते हैं. इसके साथ ही घरों और मंदिरों में तुलसी विवाह समारोह का आयोजन भी किया जाता है. इस पर्व को देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी विवाह करने से दांपत्य जीवन में चली आ रही समस्याएं समाप्त होती हैं. इसके साथ ही लक्ष्मी-नारायण की कृपा से घर-परिवार के लोगों को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस को शेयर कर हैप्पी तुलसी विवाह कह सकते हैं.
तुलसी विवाह के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करें, फिर पूजा के स्थान को साफ करके शंख, घंटी और मंत्रों के जप से भगवान विष्णु को जगाएं. शाम के समय अपने घर और मंदिर को सजाएं, दीये प्रज्जवलित करें, फिर गोधुलि बेला के दौरान शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह आयोजन करें. शानदार मंडप सजाएं, तुलसी जी का 16 श्रृंगार करें और शालिग्राम जी को भी गोपी चंदन व पीले वस्त्र से सजाएं. तुलसी-शालीग्राम को फूल, माला, फल, पंचामृत, धूप-दीप, मिठाई इत्यादि अर्पित करके वैदिक मंत्रों का जप करें. आखिर में आरती करके पूजा का समापन करें और पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें.