Inspirational Quotes of Dr. Sarvapalli Radhakrishnan: भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvapalli Radhakrishnan) की जयंती हर साल 5 सितंबर को मनाई जाती है, जिसे शिक्षक दिवस (Teachers' Day) के रूप में मनाया जाता है. साल 1962 से डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्मदिवस (Dr. Sarvapalli Radhakrishnan Jayanti) को शिक्षक दिवस से रूप में मनाया जा रहा है. बताया जाता है कि एक बार जब उनके कुछ विद्यार्थी और दोस्तों ने उनसे कहा कि वे उनके जन्मदिन को मनाना चाहते हैं, तब उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा. बता दें कि उन्हें 27 बार नोबेल पुरस्कार(Nobel Prize) के लिए नामित किया गया था और साल 1954 में उन्हें भारत रत्न (Bharat Ratna) से सम्मानित किया गया था.
देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, महान दार्शनिक और प्रख्यात शिक्षाविद थे. शिक्षक दिवस यानी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर आप उनके इन महान प्रेरणादायी (Inspirational Quotes of Dr. Sarvapalli Radhakrishnan) विचारों को वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम के जरिए दोस्तों और रिश्तेदारों को भेजकर उन्हें याद कर सकते हैं और इस दिवस की बधाई दे सकते हैं.
1- पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं.
2- शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके.
3- किताब पढ़ना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी देता है.
4- सच्चा गुरु वो है जो हमें खुद के बारे में सोचने में मदद करता है.
5- शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे.
6- शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है. अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए.
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7- अच्छा टीचर वो होता है, जो ताउम्र सीखता रहता है और अपने छात्रों से सीखने में भी कोई परहेज नहीं दिखाता.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को थिरुथानी, तमिलनाडु में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. बचपन से ही उनकी रूचि पढ़ने-लिखने में थी और वे एक होनहार छात्र थे. उन्होंने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से फिलोसॉफी की पढ़ाई की थी. उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से कलकत्ता विश्वविद्यालय तक कई कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाया. साल 1930 में उन्हें शिकागो विश्वविद्यालय में हैल्केल लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया गया था. डॉ. राधाकृष्णन ने यूनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व भी किया और उन्हें साल 1948 में यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर चुना गया. उनका निधन 16 अप्रैल 1975 को चेन्नई में हुआ था.