Swami Vivekananda Jayanti 2021 Wishes: स्वामी विवेकानंद जयंती की बधाई! अपनों को भेजें ये हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages और GIF Images
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर उनके विचारों को युवाओं तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है, ताकि युवा वर्ग उनसे प्रेरणा ले सकें. स्वामी विवेकानंद जंयती के खास अवसर पर एक-दूसरे को बधाई देना तो बनता है, इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ इमेजेस, जिन्हें आप सोशल मीडिया के जरिए भेजकर उनके जन्मदिवस की अपनों को बधाई दे सकते हैं.
Swami Vivekananda Jayanti 2021 Wishes in Hindi: भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी स्वामी विवेकानंद जयंती (Swami Vivekananda Jayanti) को धूमधाम से मनाया जाता है. उनकी जयंती को हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के तौर पर मनाया जाता है. उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता के एक साधारण परिवार में हुआ था. बचपन से ही स्वामी विवेकानंद जी (Swami Vivekananda) को साहित्य, संगीत, तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती में काफी दिलचस्पी थी, लेकिन बाद में उनका ध्यान आध्यात्म की ओर आकर्षित हुआ और इस क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों को देखते हुए देश-विदेश के युवा उनसे काफी प्रेरित हुए. उन्होंने अपनी तेजस्वी वाणी और अपने व्यक्तित्व के प्रभाव से दुनिया के कई देशों में भारतीय संस्कृति और आध्यात्म की अनोखी छाप छोड़ी. स्वामी विवेकानंद ने धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ने की अपनी विचारधारा को लोगों तक बड़ी ही सहजता से पहुंचाया.
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर उनके विचारों को युवाओं तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है, ताकि युवा वर्ग उनसे प्रेरणा ले सकें. स्वामी विवेकानंद जंयती के खास अवसर पर एक-दूसरे को बधाई देना तो बनता है, इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ इमेजेस, जिन्हें आप सोशल मीडिया के जरिए भेजकर उनके जन्मदिवस की अपनों को बधाई दे सकते हैं.
1- स्वामी विवेकानंद जयंती 2021
2- स्वामी विवेकानंद जयंती 2021
3- स्वामी विवेकानंद जयंती 2021
4- स्वामी विवेकानंद जयंती 2021
5- स्वामी विवेकानंद जयंती 2021
कहा जाता है कि जब स्वामी विवेकानंद महज 20 साल के थे, तब उनके पिता विश्वनाथ दत्त का निधन हो गया था. पिता के जाने के बाद उन्हें गरीबी और भूख का सामना करना पड़ा, बावजूद इसके उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनका संघर्ष और उनकी विचारधारा आज भी लाखों-करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. साल 1893 में स्वामी विवेकानंद को अमेरिका के शिकागो में आयोजित किए गए विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला था. वे रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य भी थे और उन्होंने ही रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी.