Somvati Amavasya 2020: सोमवती अमावस्या पर बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
सोमवती अमावस्या 2020 (Photo Credits: Instagram/File Image)

Somvati Amavasya 2020: सावन मास (Sawan Maas) की अमावस्या (Amavasya) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, जिसे श्रावणी अमावस्या (Shravani Amavasya) और हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. इस साल सावन मास के तीसरे सोमवार (20 जुलाई) को अमावस्या की तिथि पड़ रही है. सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) कहा जाता है. इस साल सावन के तीसरे सोमवार को ज्यादा फलदायी माना जा रहा है, क्योंकि 20 साल बाद सावन सोमवार को सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है. इससे पहले ऐसा संयोग 31 जुलाई 2000 को बना था.

इस साल सावन सोमवती अमावस्या के दिन अद्भुत संयोग बन रहा है, क्योंकि चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह अपनी-अपनी राशियों में उपस्थित रहेंगे. कई राशियों पर ग्रहों की इस स्थिति का शुभ प्रभाव देखने को मिलेगा. चलिए जानते हैं सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.

सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारंभ- 20 जुलाई 2020 को 12.10 AM से,

अमावस्या तिथि समाप्त- 20 जुलाई 2020 को 11:02 PM तक.

सोमवती अमावस्या पूजा विधि

  • सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.
  • इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और पितरों के निमित्त तर्पण करें.
  • गंगा नदी में या फिर किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर दान किया जाता है.
  • इस दिन कई जगहों पर व्रत रखकर पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है.
  • पूजन के बाद पीपल के वृक्ष या तुलसी की 108 परिक्रमा करने का विधान है.
  • किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलानी चाहिए.
  • इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत पुण्यदायी माना जाता है. यह भी पढ़ें: Gatari Amavasya 2020: सावन सोमवार के दिन पड़ रही है गटारी अमावस्या? जानिए इस दिन अधिकांश लोग क्यों करते हैं नॉनवेज खाने से परहेज

सोमवती अमावस्या का महत्व

सावन सोमवार के दिन सोमवती अमावस्या तिथि पड़ने की वजह से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी महाराज की पूजा करनी चाहिए. इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है. पितरों का तर्पण किया जाता है और पितृदोष शांति के उपाय किए जाते हैं. इसके साथ ही कहा जाता है कि इस दिन पौधारोपण करने से ग्रह दोष शांत होते हैं.