Som Pradosh Vrat 2019: सोम प्रदोष व्रत 9 दिसंबर को, मनचाहा फल पाने के लिए इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
शास्त्रों में प्रदोष व्रत का खास महत्व बताया गया है और इस व्रत के कई लाभ बताए गए हैं. मान्यता है कि हमेशा बेचैन और अशांत रहने वाले लोगों को सोम प्रदोष व्रत करना चाहिए. इस व्रत को करने से भक्तों को जीवन में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
Som Pradosh Vrat 2019: जिस तरह से एकादशी तिथि (Ekadashi) जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को अति प्रिय है, उसी प्रकार त्रयोदशी (Trayodashi) तिथि देवों के देव महादेव (Mahadev) को अत्यंत प्रिय है. पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है. त्रयोदशी की जो तिथि सोमवार को पड़ती है, उसे सोम प्रदोष (Som Pradosh) कहते हैं और मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष (Margashirsha Shukla Paksha) की त्रयोदशी 9 दिसंबर 2019 (सोमवार) को पड़ रही है. इस बार यह तिथि सोमवार को पड़ रही है, इसलिए इसे सोम प्रदोष कहा गया है.
मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में विधि-विधान से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. चलिए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, भगवान शिव की पूजा विधि और इसका महत्व.
शुभ मुहूर्त
सोम प्रदोष व्रत तिथि- 09 दिसंबर 2019 (सोमवार)
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 09 दिसंबर 2019 को सुबह 09.54 बजे से,
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 10 दिसंबर 2019 की सुबह 10.44 बजे तक.
पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 05.25 बजे से रात 08.08 बजे तक.
पूजा विधि
- त्रयोदशी तिथि की सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर सोम प्रदोष व्रत का संकल्प लें.
- सुबह शिवलिंग का अभिषेक करें और शाम को प्रदोष काल में विधि-विधान से उनकी पूजा करें.
- शाम को स्नान के बाद पूजा करने के लिए पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा में बैठें.
- एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग की स्थापना करें.
- अब शिव जी को गंगा जल, अक्षत, पुष्प, धतूरा, धूप, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें.
- भगवान शिव का ध्यान करें, फिर पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय: मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें.
- अब सोम प्रदोष की व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आखिर में कपूर से भगवान शिव की आरती करें.
- रात में भगवान शिव का भजन और कीर्तन करें और फिर सुबह स्नान करके व्रत का पारण करें. यह भी पढ़ें: Som Pradosh Vrat 2019: सोम-प्रदोष व्रत का महात्म्य और संयोग! कैसे करें पूजा-अर्चना! और असाध्य रोगों व अकाल-मृत्यु से पाएं मुक्ति!
प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों में प्रदोष व्रत का खास महत्व बताया गया है और इस व्रत के कई लाभ बताए गए हैं. मान्यता है कि हमेशा बेचैन और अशांत रहने वाले लोगों को सोम प्रदोष व्रत करना चाहिए. इस व्रत को करने से भक्तों को जीवन में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. माना जाता है कि सोमवार के दिन आनेवाला प्रदोष सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है.
इसी तरह रविवार को आनेवाले प्रदोष व्रत से निरोगी रहने का आशीर्वाद मिलता है, जबकि मंगलवार के दिन किया जाने वाला प्रदोष व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है. बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से भक्तों की सभी कामनाएं सिद्ध होती हैं. गुरुवार का प्रदोष व्रत शत्रुओं पर विजयद दिलाता है, शुक्रवार का प्रदोष व्रत भक्तों के जीवन में सौभाग्य लेकर आता है और शनिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से भक्तों की पुत्र प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.