Shrawan Pradosh Vrat 2023: कब है श्रावण प्रदोष? जानें शुक्र प्रदोष व्रत का महात्म्य, पूजा मुहूर्त, मंत्र एवं अनुष्ठान!
सावन प्रदोष 2023 (Photo Credits: File Image)

प्रदोष व्रत पुरुष या स्त्री दोनों ही कर सकते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में लोग इस व्रत को पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ करते हैं. यह व्रत भगवान शिव एवं देवी पार्वती के सम्मान में रखा जाता है. देश के कुछ हिस्सों में इस दिन भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा करते हैं. स्कंद पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत की दो विभिन्न विधियां हैं. प्रथम विधि के तहत जातक को पूरे 24 घंटे का कठोर व्रत रखना पड़ता है, जिसमें रात्रि में शिव-पूजा एवं रात्रि जागरण कर कीर्तन-भजन आदि करते हैं. दूसरी विधि के अनुसार सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक व्रत रखा जाता है, और संध्याकाल में भगवान शिव एवं पार्वती की पूजा के पश्चात व्रत खोला जाता है. इस वर्ष 15 जुलाई 2023 को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. यह भी पढ़ें: Sawan Shivratri 2023: कब है श्रावण शिवरात्रि व्रत? जानें मूल तिथि, महत्व, मुहूर्त औ पूजा के नियम!

प्रदोष व्रत का महात्म्य

स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत के महात्म्य एवं पुण्य लाभ के बारे में वर्णित है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ प्रदोष का व्रत रखता है, एवं शिव जी की विधि-विधान से पूजा करता है, उसे शिव जी की कृपा से संतोष, धन और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है. बतला दें कि प्रदोष व्रत आध्यात्मिक उत्थान, एवं अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु भी रखा जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों में प्रदोष व्रत के महात्म्य के बारे में काफी कुछ लिखा गया है. भगवान शिव के भक्त इस व्रत को बहुत पवित्र और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति वाला मानते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. जब प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ता है तो इसे 'भृगु वार प्रदोष ' कहते हैं. यह व्रत आपके जीवन से नकारात्मकताओं को दूर करके पूर्ण संतुष्टि प्रदान करता है.

प्रदोष व्रत मूल तिथि एवं पूजा का मुहूर्त

श्रावण त्रयोदशी प्रारंभः 07.17 PM. (14 जुलाई 2023, गुरूवार) से

श्रावण त्रयोदशी समाप्तः 08.33 PM. (15 जुलाई 2023, शुक्रवार) तक

प्रदोष पूजा शुभ मुहूर्तः 07.11 PM से 09.20 PM (15 जुलाई, 2023 शुक्रवार)

प्रदोष व्रत अनुष्ठान और पूजा:

प्रदोष की पूजा के लिए सूर्यास्त से एक घंटे पहले जातक स्नान करें. इसके पश्चात शिव परिवार यानी भगवान शिव, देवी पार्वती, श्री गणेश एवं स्वामी कार्तिकेय एवं नंदी की पूजा करें. मंदिर के सामने थोड़ा सा दूर्वा बिछाएं. एक कलश में जल, मुद्रा, सुपारी, चावल आदि रखें. कलश पर आम्र-पल्लव को कमल आकार में लगाएं. इसे दूर्वा पर रखें. कलश के सामने धूप-दीप प्रज्वलित कर शिवजी का निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें.

‘ॐ नमः शिवाय’

कलश पर पुष्प हार, पुष्प, रोली, सिंदूर आदि अर्पित करें. आप शिव मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं. शिवलिंग को घी, दूध, दही, शहद आदि से स्नान करायें. इसके बाद शिवलिंग पर बिल्व-पत्र अर्पित करें (बिल्व पत्र का चिकना वाला हिस्सा शिवलिंग को स्पर्श करते हुए रखें) इसके पश्चात प्रदोष व्रत की कथा सुनें अथवा शिव पुराण की कहानियां पढ़ें. अंत में शिवजी की आरती उतारें.

श्रावण प्रदोष व्रत के ऐसे पाएं लाभ

* श्रावण प्रदोष व्रत रखते हुए शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें. इससे जीवन में आ रही सारी आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, और लंबे समय से चल रहा कर्ज खत्म होता है.

* श्रावण प्रदोष के दिन अक्षत, सफेद पुष्प, चंदन, भांग, धतूरा, धूप, दीप, पंचामृत, सुपारी और बेलपत्र से भगवान शिव का अभिषेक करें. इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और साधक की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.