Shab E Meraj Mubarak 2023 Wishes: शब-ए-मेराज की इन हिंदी WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Photo Messages के जरिए दें मुबारकबाद
रजब की 27वीं रात को पैगंबर मोहम्मद साहब ने मक्का से येरुशलम की चालीस दिन की यात्रा महज कुछ ही घंटों में तय कर ली थी, फिर सातों आसमानों की यात्रा करके सशरीर अल्लाहतआला के दर्शन प्राप्त किए थे. इस दिन दुनिया भर के मुलमान शब-ए-मेराज को धूमधाम से मनाते हैं. ऐसे में आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो मैसेजेस के जरिए शब-ए-मेराज की मुबारकबाद दे सकते हैं.
Shab E Meraj Mubarak 2023 Wishes in Hindi: 'शब-ए-मेराज' (Shab-e-Miraj), 'लैलात अल मिराज' (Lailat Al Miraj) या 'द नाइट ऑफ एसेंट' (The Night of Ascent) भारत में 19 फरवरी रविवार को पड़ रही है. शब-ए-मेराज को इस्लामिक महीने रजब (Rajab) की 27 तारीख को मनाया जाता है. इसे इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र महीने की शुरुआत से कुछ दिन पहले मनाया जाता है. इस्लाम में शब-ए-मेराज का ऐतिहासिक महत्व है. इस्लामिक शास्त्रों के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद को इस रात स्वर्ग में पांच अनिवार्य प्रार्थनाएं दी गई थीं. इसके साथ ही वो अन्य नबियों से मिले और कुछ असाधारण दृश्यों को अनुभव किया. जैसा कि पहली इस्लामी तीर्थयात्रा येरूशलम में स्थित थी, पैगंबर मोहम्मद वर्तमान तीर्थ स्थल मक्का से वहां गए थे. पैगंबर मोहम्मद ने इस्लाम के दो महत्वपूर्ण स्थलों के बीच की दूरी को कवर किया था. मक्का और येरूशलम तक की उनकी यात्रा को 'इसरा' कहा जाता है.
रजब की 27वीं रात को पैगंबर मोहम्मद साहब ने मक्का से येरुशलम की चालीस दिन की यात्रा महज कुछ ही घंटों में तय कर ली थी, फिर सातों आसमानों की यात्रा करके सशरीर अल्लाहतआला के दर्शन प्राप्त किए थे. इस दिन दुनिया भर के मुलमान शब-ए-मेराज को धूमधाम से मनाते हैं. ऐसे में आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो मैसेजेस के जरिए शब-ए-मेराज की मुबारकबाद दे सकते हैं.
1- शब-ए-मेराज मुबारक
2- शब-ए-मेराज मुबारक
3- शब-ए-मेराज मुबारक
4- शब-ए-मेराज मुबारक
5- शब-ए-मेराज मुबारक
गौरतलब है कि इस तिथि को इस्लाम धर्म में काफी महत्वपूर्ण बताया गया है, जिसे लेकर लोगों की अपनी मान्यताएं एवं आस्था है. शब-ए-मेराज के दिन इस्लाम धर्म के लोग रातभर अल्लाह की इबादत करते हैं और लजीज पकवानों के साथ इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. कुछ इस्लामिक विद्वान शब-ए-मेराज को 'बिदाह' कहते हैं, जिसका अर्थ है धर्म में नवीनता. उपमहाद्वीप के देशों में मुसलमान इसे अनिवार्य बताते हुए इस रात नमाज अदा करते हैं.