हिंदू धर्म शास्त्रों में सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. बहुत सारे जातक सावन शुरू होने के साथ ही शिवजी की पूजा एवं रुद्राभिषेक जैसे विशेष आयोजन करवाते हैं. मान्यता हैं कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराने से शिवजी प्रसन्न होकर जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. घर में खुशियां आती हैं, और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती. जिन जातकों के विवाह में किसी तरह की अड़चने आती हैं, उनके द्वारा रुद्राभिषेक कराने से विवाह में आ रही बाधाएं मिटती हैं. यहां आचार्य भागवत जी बता रहे हैं कि भगवान शिव का रूद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ दिन और तिथियां कौन-कौन सी बन रही हैं, एवं संपूर्ण रुद्राभिषेक का आयोजन किस तरह किया जाता है. यह भी पढ़ें: Shrawan Maas 2023: रावण ने कब और क्यों रचा शिव तांडव स्तोत्र? जानें इसका आध्यात्मिक एवं सांसारिक लाभ तथा इसकी कथा!
रूद्राभिषेक कहां करवाना चाहिए
आचार्य भागवत जी के अनुसार रूद्राभिषेक की पूजा आप चाहे तो घर में अथवा शिव मंदिर में से किसी एक जगह करवा सकते हैं. अधिकांश लोग घर में ही यह अभिषेक करवान पसंद करते हैं. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है, और बुरी शक्तियां नष्ट होती हैं. शिव पुराण के अनुसार जातक को जिस तरह की समस्याएं परेशान करती हैं, उसी के अनुसार अमुक वस्तुओं से रुद्राभिषेक करवाना चाहिए. यानी जिस वस्तु से आप रुद्राभिषेक करवाएंगे, उसी के अनुसार फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से शीघ्र ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.
रुद्राभिषेक करने की विधि
शिव पुराण में शिव जी को ही रूद्र माना गया है, और शिव जी की पूजा में छोटी सी त्रुटि से भी भगवान शिव रूष्ठ हो सकते हैं, और रुद्राभिषेक एक कठिन आयोजन है, इसलिए बेहतर होगा कि किसी जानकार पुरोहित से ही रुद्राभिषेक कराना चाहिए. रुद्राभिषेक लगभग डेढ़ घंटे का आयोजन होता है. रुद्राभिषेक की पूजा के दिन जातक को स्नान ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर पुरोहित के साथ बैठना चाहिए.
पुरोहित भगवान शिव, देवी पार्वती, अन्य देवी-देवताओं और नवग्रहों के लिए आसन तैयार करते हैं. पूजा शुरू करने से पहले. पूजा की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा की जाती है, और भगवान का आशीर्वाद मांगा जाता है. अब जातक की मनोकामना के अनुसार संकल्प का जाप किया. इस क्रम में नौ ग्रह, पृथ्वी माता, गणेश, देवी लक्ष्मी, भगवान ब्रह्मा, मां गंगा, भगवान सूर्य और अग्नि देव का आह्वान एवं पूजा किया जाता है. पूजा के पश्चात अभिषेक के दौरान मूर्ति से बहने वाले जल को पकड़ने की तैयारी की जाती है. अमुक स्थल पर शिवलिंग रखा जाता है. पूजा के अंत में भगवान को प्रसाद में फल, एवं मिठाई चढ़ाते हैं और अंत में शिवजी की आरती उतारते हैं. अनुष्ठान के पश्चात सर्वप्रथम पंचामृत का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए. आस्था के साथ स्वीकारे गये इस प्रसाद के ग्रहण करने के साथ ही जातक की समस्याओं का निदान शुरू हो जाता है. पुरोहित पूजा स्थल पर उपस्थिति लोगों पर गंगाजल छिड़कते हैं.
इन समस्याओं से मुक्ति के लिए लोग करवाते हैं रुद्राभिषेक
* बारिश नहीं होने की स्थिति में रुद्राभिषेक करने पर बारिश होती है.
* किसी असाध्य रोग से मुक्ति पाने के लिए कुशा मिश्रित जल से अभिषेक करवाने से अभीष्ठ फल की प्राप्ति होती है.
* पशु, भवन अथवा वाहन खरीदने के लिए भगवान शिव का दही से अभिषेक करवाने से लाभ प्राप्त होता है.
* आर्थिक संकट से मुक्ति पाने के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करवाना लाभकारी होता है.
* फलों के रस से अभिषेक करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है.
* किसी बीमारी विशेष से मुक्ति पाने के लिए गंगाजल से भी अभिषेक करवाना फायदेमंद हो सकता है.
* पुत्र प्राप्ति के लिए गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए.
* किसी खतरनाक बुखार से ग्रस्त हैं तो गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करवाना चाहिए.
* वंश विस्तार में आ रही बाधा दूर करने के लिए देशी घी से अभिषेक करवाना लाभकारी हो सकता है.