Savitribai Phule Punyatithi 2021: देश की पहली शिक्षिका व समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि आज, ट्विटर पर लोगों ने ऐसे किया याद
भारत की पहली शिक्षिका और समाज सुधारक मानी जाने वाली सावित्रीबाई फुले की आज पुण्यतिथि है. इस अवसर पर लोग उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. अपने पति ज्योतिबा फुले की तरह ही सावित्रीबाई फुले ने भी अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया. उनका निधन 10 मार्च 1897 को प्लेग द्वारा ग्रसित लोगों की सेवा करने के दौरान हुआ था.
Savitribai Phule Punyatithi 2021: भारत की पहली शिक्षिका और समाज सुधारक मानी जाने वाली सावित्रीबाई फुले की आज पुण्यतिथि (Savitribai Phule Punyatithi) है. इस अवसर पर लोग उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. उन्होंने महिलाओं को शिक्षा दिलाने और उन्हें सामाजिक शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए पुरजोर प्रयास किया. महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जब ज्योतिबा फुले ने पहला कन्या विद्यालय खोला था, तब सावित्रीबाई फुले ने वहां अध्यापन किया, इसलिए उन्हें देश की पहली महिला शिक्षिका के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने जातिवाद और पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था को ललकारते हुए बालिका शिक्षा को समाज के लिए बड़ी जरूरत बताया था. सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) ने जातिगत भेदभाव, अत्याचार और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ शिक्षा व अपने सामाजिक कार्यों के जरिए जागरूकता पैदा की.
सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि के इस अवसर पर लोग देश की पहली महान शिक्षिका व समाज सुधारक को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स ने ट्विटर पर सावित्रीबाई फुले को श्रद्धांजलि दी है और उन्हें नमन किया है. चलिए उन पर एक नजर डालते हैं.
सावित्रीबाई फुले को कोटि-कोटि नमन
सावित्रीबाई फुले को शत-शत नमन
सावित्रीबाई फुले को श्रद्धांजलि
सावित्रीबाई फुले को विनम्र श्रद्धांजलि
सावित्रीबाई फुले को कोटि-कोटि प्रणाम
लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित बनाने का लक्ष्य रखने वाली सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ था. महज 9 साल की उम्र में उनका विवाह क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले से हो गया और उस दौरान ज्योतिबा फुले की उम्र सिर्फ 13 साल थी. अपने पति की तरह ही सावित्रीबाई फुले ने भी अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया. उनका निधन 10 मार्च 1897 को प्लेग द्वारा ग्रसित लोगों की सेवा करने के दौरान हुआ था.