Sardar Patel Jayanti 2024 Quotes: लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती पर प्रियजनों संग शेयर करें उनके ये 10 अनमोल विचार
लौह पुरुष के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले सरदार पटेल स्वभाव से बेहद शांत और नरम दिल के व्यक्ति थे, लेकिन उनके विचार हमेशा से महान और प्रेरणादायी रहे हैं, जिनसे आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं. ऐसे में सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती के इस खास अवसर पर आप लौह पुरुष सरदार पटेल के इन 10 अनमोल विचारों को प्रियजनों संग शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
Sardar Patel Jayanti 2024 Quotes in Hindi: हर साल 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती (Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti) देशभर में मनाई जाती है. भारत के पहले गृह मंत्री रहे सरदार पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात (Gujarat) के नाडियाद में हुआ था. सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती को हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के तौर पर मनाया जाता है. सरदार पटेल के पिता का नाम झावेर भाई और मां का नाम लाडबा पटेल था. वो अपने माता-पिता की चौथी संतान थे. दरअसल, भारत सरकार ने साल 2014 में 31 अक्टूबर यानी सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया, तब से हर साल इस दिन को हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस दिन राजधानी दिल्ली में मुख्य समारोह आयोजित किया जाता है. इस दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए और सरदार पटेल की याद में 'रन फॉर यूनिटी' का आयोजन किया जाता है.
लौह पुरुष के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले सरदार पटेल स्वभाव से बेहद शांत और नरम दिल के व्यक्ति थे, लेकिन उनके विचार हमेशा से महान और प्रेरणादायी रहे हैं, जिनसे आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं. ऐसे में सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती के इस खास अवसर पर आप लौह पुरुष सरदार पटेल के इन 10 अनमोल विचारों को प्रियजनों संग शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
सरदार पटेल ने इंग्लैंड में कानूनी पढ़ाई की और अपनी डिग्री पूरी करने के बाद सन 1913 में भारत लौट आए, फिर महात्मा गांधी का भाषण सुनने के बाद वे राजनीति में आ गए और जल्द ही भारत में ब्रिटिश शासन के प्रबल विरोधी बन गए. भारत की आजादी के बाद सन 1947 में सरदार पटेल भारत के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री बने. उन्होंने आजादी के बाद 500 से ज्यादा रियासतों को भारतीय डोमिनियन में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें भारत के लौह पुरुष की उपाधि मिली.