Sant Ravidas Jayanti 2020: जानें चर्मकार से महान संत और कवि बनने का उनका सफर

हिन्दी साहित्य के इतिहास में मध्यकाल, भक्तिकाल के नाम से प्रसिद्ध है. इस काल में अनेक संत एवं भक्त हुए, जिन्होंने समाज में व्याप्त तमाम कुरीतियों को समाप्त करने का प्रयास किया. इन महान संतों रविदास जी अग्रणी रहे हैं.

संत रैदासजी संत कबीर के समसामयिक कवि थे (Photo credit: Screenshot Youtube.com)

Sant Ravidas Jayanti 2020: धर्म से ऊपर कर्म है’, इस मत को मानने वाले महान संतों में एक हैं संत रविदास, जिनकी एक कहावत 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' अर्थात मन साफ है तो गंगा आपकी कठौती में हो सकती है. संत रविदास का मूल नाम रैदास है, जो पेशे से चर्मकार थे. संत रविदास जी के जन्म को लेकर विद्वानों में मतभेद है, यद्यपि अधिसंख्यों का मत है कि माघ माह की पूर्णिमा के दिन रविदास जी का जन्म वाराणसी के करीब एक गांव में 9 फरवरी 1450 में हुआ था. वह रविवार का दिन था, इसीलिए उनका नाम रविदास पड़ा. रविदास के माता-पिता के बारे में पुष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है.

लेकिन यह सच है कि वे पेशे से चर्मकार थे, और उसी पेशे को रविदास जी ने भी अपनाया. आइए जानते हैं कि जूते चप्पल सिलने वाला एक सामान्य व्यक्ति से इतना बड़ा महाकवि और संत कब और कैसे बन गया.

कौन थे संत रविदास के गुरु:

भारत की मध्ययुगीन संत परंपरा में रविदास (रैदासजी) का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है. संत रैदासजी संत कबीर के समसामयिक कवि थे. उन्होंने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी. संत रविदास जी को रामानन्द का शिष्य माना जाता है. इस वर्ष 2020 में 9 फरवरी को रविदास जयंती मनाई जाएगी.

नदी में स्नान और ध्यान कीर्तन कर मनाते हैं उनकी जयंती:

संत रविदास जयंती देश भर में उत्साह एवं धूम धाम के साथ मनाई जाती है. इस अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है तथा शोभायात्रा में बैंड बाजों के साथ भव्य झांकियां भी देखने को मिलती हैं इसके अतिरिक्त रविदास जी के महत्व एवं उनके विचारों पर गोष्ठी और सतसंग का आयोजन भी होता है सभी लोग रविदास जी की पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.

कैसे बने चर्मकार से संत:

बालक रविदास अपने एक मित्र के साथ रोजाना खेलते थे. एक दिन उनका वह मित्र नहीं आया, तो वह उसकी तलाश में निकले. तभी उन्हें कोई बताता है कि उसकी तो मृत्यु हो गयी. मित्र के बारे में ऐसी खबर सुनकर रविदास दुःखी हो उसके घर पहुंचे. मृत मित्र के सामने पहुंचकर उन्होंने कहा उठो मेरे साथ खेलो. यह सुनते ही वह मित्र उठ खड़ा हुआ. कहा जाता है कि संत रविदास जी को बचपन से ही दिव्य शक्तियां हासिल थीं. जैसे-जैसे वे बड़े होते गये उन्होंने अपना पूरा ध्यान भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण की भजन में लगाने लगे. कहा जाता है कि अपने दिव्य शक्तियों का प्रयोग वह गरीब एवं जरूरतमंदों के हितों के रूप में करते थे. ऐसा करते हुए वक्त बीतता गया और वे आम इंसान से संत बन गये.

संत एवं भक्त कवि रविदास:

हिन्दी साहित्य के इतिहास में मध्यकाल, भक्तिकाल के नाम से प्रसिद्ध है. इस काल में अनेक संत एवं भक्त हुए, जिन्होंने समाज में व्याप्त तमाम कुरीतियों को समाप्त करने का प्रयास किया. इन महान संतों रविदास जी अग्रणी रहे हैं. रविदास जी भक्त, साधक और कवि थे उनके पदों में प्रभु भक्ति भावना, ध्यान एवं साधना के भाव देखे जा सकते हैं.

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