Sant Gadge Maharaj Quotes in Marathi: संत गाडगे महाराज की पुण्यतिथि पर ये WhatsApp Status, HD Images और Wallpapers शेयर कर करें उन्हें याद
आधुनिक भारत को जिन महापुरुषों पर गर्व होना चाहिए उनमें संत गाडगे महाराज (Sant Gadge Maharaj) का नाम अग्रणी है. मानवता का सच्चा हितैषी और सामाजिक समरसता का प्रतीक यदि कोई माना जा सकता है तो वह संत गाडगे हैं. 23 फरवरी को डेबूजी झिंगारजी जानोरकर यानी बाबा गाडगे का जन्मदिन है. उनका असली नाम डेबूजी झिंगारजी जानोरकर था...
Sant Gadge Maharaj Quotes in Marathi: आधुनिक भारत को जिन महापुरुषों पर गर्व होना चाहिए उनमें संत गाडगे महाराज (Sant Gadge Maharaj) का नाम अग्रणी है. मानवता का सच्चा हितैषी और सामाजिक समरसता का प्रतीक यदि कोई माना जा सकता है तो वह संत गाडगे हैं. 23 फरवरी को डेबूजी झिंगारजी जानोरकर यानी बाबा गाडगे का जन्मदिन है. उनका असली नाम डेबूजी झिंगारजी जानोरकर था. गाडगे महाराज का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के अंजनगांव सुरजी तालुका के शेडगांव गांव में एक धोबी परिवार में हुआ था.
गाडगे महाराज एक भ्रमणशील सामाजिक शिक्षक थे. वे पैरों में फटी चप्पलें और सिर पर मिट्टी का कटोरा रखकर पैदल यात्रा करते थे और यही उनकी पहचान थी. गांव में प्रवेश करते ही गाडगे महाराज तुरंत नालियों और सड़कों की सफाई शुरू कर देते थे और काम पूरा होने के बाद व्यक्तिगत रूप से लोगों को गांव की स्वच्छता के लिए बधाई देते थे. 20 दिसंबर 1956 को महाराज का निधन हो गया. गाडगे महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर, आप उनके निम्नलिखित प्रेरणादायक विचारों को सोशल मीडिया, दोस्तों और परिवार के साथ व्हाट्सएप स्टेटस, इमेज, वॉलपेपर के माध्यम से साझा कर सकते हैं.
1. दान घेण्यासाठी हात पसरू नका,
दान देण्यासाठी हात पसरा.
- संत गाडगे बाबा
2. दुःखाचे डोंगर चढल्या शिवाय
सुखाचे किरण दिसत नाहीत.
- संत गाडगे महाराज
3. जो वेळेवर जय मिळवतो
तो जगावरही जय मिळवतो.
- संत गाडगे महाराज
4. माणसाचे खरोखर देव
कोण असतील तर ते
आई-बाप.
- संत गाडगे बाबा
5. दगड धोंड्यांची पूजा करण्यात
वेळ आणि शक्ती
वाया घालवू नका
- संत गाडगे महाराज
6. गाय सुखी, तर शेतकरी सुखी आणि
शेतकरी सुखी, तर जग सुखी.
म्हणूनच गोपालन, पशुपालन प्रेमाने करा
आणि सर्व प्राणिमात्रांवर दया करा.
हाच आजचा धर्म आहे.
- संत गाडगे बाबा
गाडगे महराज लोगों से प्राप्त धन से प्रत्येक गाँव में विद्यालय, धर्मशालाएँ, अस्पताल, पशु आश्रय स्थल बनवाते थे. गांवों की सफ़ाई करने के बाद वे शाम को कीर्तन का आयोजन करते थे और अपने कीर्तन के माध्यम से परोपकार और समाज कल्याण का संदेश देते थे. अपने कीर्तन में वह लोगों को अंधविश्वासी भावनाओं के खिलाफ जागरूक करते हैं.