Sankashti Chaturthi July 2020: सावन मास की संकष्टी चतुर्थी 8 जुलाई को, जानें भगवान गणेश की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व
8 जुलाई को पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी कई मायनों में विशेष मानी जा रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि यह सावन की संकष्टी चतुर्थी है और दूसरी विशेष बात यह है कि यह पावन तिथि बुधवार को पड़ रही है. बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए माना जाता है कि इस दिन की जाने वाली भगवान गणेश की पूजा शुभ फलदायी होती है.
Sawan Sankashti Chaturthi 2020: भगवान शिव (Lord Shiva) की उपासना का सबसे पावन महीना सावन (Sawan) 6 जुलाई से शुरु हो चुका है. सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व बताया जाता है, लेकिन इस महीने पड़ने वाली सावन संकष्टी चतुर्थी (Sawan Sankashti Chaturthi) का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. भगवान शिव (Bhagwan Shiv) और माता पार्वती (Mata Parvati) के लाड़ले पुत्र गणेश जी (Lord Ganesha) को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है, इसलिए सावन मास की संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन भगवान गणेश की उपासना का विशेष महत्व बताया जाता है. माना जाता है कि सावन मास की संकष्टी चतुर्थी पर श्रीगणेश जी की पूजा करने से भक्तों के सारे विघ्न व कष्ट दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस साल सावन मास की संकष्टी चतुर्थी 8 जुलाई 2020 (बुधवार) को पड़ रही है.
दरअसल, 8 जुलाई को पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी कई मायनों में विशेष मानी जा रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि यह सावन की संकष्टी चतुर्थी है और दूसरी विशेष बात यह है कि यह पावन तिथि बुधवार को पड़ रही है. बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए माना जाता है कि इस दिन की जाने वाली भगवान गणेश की पूजा शुभ फलदायी होती है. चलिए जानते हैं शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय, पूजा विधि और महत्व.
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 8 जुलाई 2020 की सुबह 09.18 बजे से,
चतुर्थी तिथि समाप्त- 9 जुलाई 2020 की सुबह 10.11 बजे तक.
चंद्रोदय का समय- 8 जुलाई 2020 रात 10.00 बजे.
पूजा विधि
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
- लाल वस्त्र धारण करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख करके पूजन करें.
- पूजन के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें.
- फिर गणेश जी को दूर्वा, फूल, फल, अर्पित करके धूप और दीप प्रज्जवलित करें.
- संकष्टी के दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं.
- पूजन के दौरान ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जप करना चाहिए.
- संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें या सुनें और फिर गणेश जी की आरती उतारें.
- शाम को चंद्रमा निकलने पर चांद की पूजा करें और उसके बाद अपना व्रत खोलें.
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रमा उदय होने तक व्रत रखा जाता है. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi June 2020: संकष्टी चतुर्थी के व्रत से दूर होते हैं जीवन के सारे कष्ट, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सुखकर्ता, दुखहर्ता, बल, बुद्धि और विवेक प्रदान करने वाला देवता माना जाता है. गणेश जी अपने भक्तों के सभी प्रकार के विघ्न और कष्ट दूर करते हैं, इसलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं. जिन लोगों के जीवन में कोई कष्ट है, उनके लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष फलदायी माना जाता है, क्योंकि संकष्टी चतुर्थी का मतलब ही संकटों को हरने वाली चतुर्थी है. माना जाता है कि इस व्रत को भक्तिभाव से करने पर भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है.