Rangbhari Ekadashi 2020: आज़ खेलेंगे बाबा भोलेनाथ माता गौरी संग होली! जानें रंगभरी एकादशी का महात्म्य एवं पूजा विधान!

अगर नौकरी अथवा व्यवसाय संबंधी कोई संकट है तो रंगभरी एकादशी के दिन उपवास रखें. मध्य दोपहर अथवा मध्य रात्रि में शिवजी के समक्ष धूप एवं दीप प्रज्वल्लित करें. शिवजी को हरे रंग का अबीर चढ़ाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ के उच्चारण के साथ तीन माला का जाप करें.

होली 2019 (Photo Credits: Facebook)

फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं. कुछ जगहों पर इस दिन को आमलकी एकादशी के नाम से भी पूजा जाता है. रंगभरी एकादशी का पर्व शिवजी की प्रिय नगरी काशी (वाराणसी) के लिए विशेष महत्व रखता है. मान्यता है कि इस दिन बाबा विश्वनाथ, माता गौरी और अपने गणों के साथ अबीर-गुलाल की होली खेलते हैं. सनातन धर्म के अनुसार आज का दिन भगवान शिव और पार्वती के वैवाहिक जीवन में काफी महत्व रखता है.

आइये जानें इस दिन का क्या महात्म्य है और भगवान शिव के लिए यह दिन विशेष महत्वपूर्ण क्यों कहा जाता है. इस वर्ष रंगभरी एकादशी 06 मार्च को है.

रंगभरी एकादशी का माहात्म्य:

पौराणिक परम्पराओं के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष साज-श्रृंगार होता है. उन्हें दुल्हे की तरह सजाया जाता है. इसके बाद माता गौरी के गौना की तैयारी होती है. गौरतलब है कि इसी दिन भगवान शिव माता गौरी को विवाह कर काशी लेकर आए थे. इसी दिन से काशी में रंग खेलने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है, जो लगातार 6 दिन तक चलता है. ब्रज में होली का पर्व होलाष्टक से शुरू होता है और वाराणसी में रंगभरी एकादशी से शुरू होता है. इस अवसर पर माता गौरी और गणेशजी के साथ साढ़े तीन सौ साल पुरानी चांदी की पालकी पर प्रतिष्ठित करके भगवान शिवजी की प्रतिमा बाबा विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में ले जाई जाती है.

इस दिन आंवला-वृक्ष की पूजा करने के साथ ही बाबा विश्वनाथ के मंदिर के करीब स्थित माता अन्नपूर्णा देवी का दर्शन एवं विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने की भी परंपरा है. रंगभरी एवं आमलकी एकादशी भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा देने वाला संयुक्त पर्व है. इसलिए इस एकादशी का महत्व बढ़ जाता है

पूजा विधान:

रंगभरी एकादशी (6 मार्च) को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान के पश्चात घर के मंदिर में शिवजी और माता गौरी की मूर्ति स्थापित करें. अब माता गौरी और शिवजी की अक्षत्, धूप, बेलपत्र, दीप, पुष्प और गंध आदि से पूजा-अर्चना करें. इसके बाद माता गौरी और भगवान शिव को रंग और गुलाल अर्पित कर घी के दीपक अथवा कपूर जलाकर आरती उतारें. ध्यान रहे मां गौरी की पूजा करते समय उनके लिए श्रृंगार का सामान अवश्य अर्पित करें.

किस समस्या के लिए क्या करें:

अगर विवाह में किसी तरह की बाधा आ रही है तो रंगभरी एकादशी के दिन उपवास रखें. सूर्यास्त के पश्चात भगवान शिव और पार्वती की पूजा करें, और गुलाबी रंग का अबीर अर्पित करते हुए माता पार्वती एवं शिवजी से सुखद वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें. अगर सेहत संबंधी कोई समस्या है, तो एकादशी के दिन मध्यरात्रि में शिवजी की पूजा करें. शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, लाल, पीला एवं सफेद रंग का अबीर अर्पित करे, तथा ‘ॐ हौं जूं सः’ का उच्चारण करते हुए 11 माला का जाप करें. साथ ही भगवान शिव से अच्छे सेहत की प्रार्थना करें.

अगर नौकरी अथवा व्यवसाय संबंधी कोई संकट है तो रंगभरी एकादशी के दिन उपवास रखें. मध्य दोपहर अथवा मध्य रात्रि में शिवजी के समक्ष धूप एवं दीप प्रज्वल्लित करें. शिवजी को हरे रंग का अबीर चढ़ाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ के उच्चारण के साथ तीन माला का जाप करें.

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