Parshuram Jayanti 2021: परशुराम जयंती कल, आखिर क्यों भगवान परशुराम ने काटी थी अपनी मां की गर्दन, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. मान्यता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए उनकी जयंती को प्रदोष काल में मनाना उत्तम माना जाता है. कहा जाता है कि परशुराम अपनी माता-पिता की आज्ञाकारी संतान थे, फिर भी उन्होंने अपनी माता की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था.
Parshuram Jayanti 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) भी मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी पावन तिथि पर भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के छठे अवतार भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) का जन्म हुआ था. इस साल परशुराम जयंती का पर्व 14 मई यानी कल मनाया जाएगा. मान्यता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए उनकी जयंती को प्रदोष काल में मनाना उत्तम माना जाता है. कहा जाता है कि परशुराम अपनी माता-पिता की आज्ञाकारी संतान थे, फिर भी उन्होंने अपनी माता की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था. चलिए जानते हैं आखिर परशुराम जी ने क्यों अपनी ही माता की हत्या कर दी थी, इसके साथ ही जानते हैं शुभ मुहूर्त और महत्व.
शुभ मुहूर्त
परशुराम जयंती- 14 मई 2021 (शुक्रवार)
तृतीया तिथि प्रारंभ- 14 मई 2021 सुबह 05:38 बजे से,
तृतीया तिथि समाप्त- 15 मई 2021 सुबह 07:59 बजे तक.
जब परशुराम ने काटी थी अपनी मां की गर्दन
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका की चौथी संतान थे. वे जितने आज्ञाकारी थे, उतने ही उग्र स्वभाव के भी थे. एक बार पऱशुराम को उनके पिता ने आज्ञा दी कि वे अपनी मां का वध कर दें. आज्ञाकारी पुत्र होने कारण उन्होंने अपने पिता के आदेश का पालन करते हुए अपनी मां के सिर को धड़ से अलग कर दिया. यह देख ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र से बेहद प्रसन्न हुए और फिर जब उनके पुत्र ने आग्रह किया तो उन्होंने उनकी मां को फिर से जीवित कर दिया.
हालांकि अपनी माता की हत्या करने पर भगवान परशुराम पर मातृ हत्या का पाप लगा, इसलिए इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की, जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें मातृ हत्या के पाप से मुक्ति मिली. भगवान परशुराम की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याण के लिए परशु अस्त्र प्रदान किया था, इसलिए वे परशुराम कहलाए. यह भी पढ़ें: Akshaya Tritiya 2021: अक्षय तृतीया 2021 कब है? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
परशुराम जयंती का महत्व
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, धरती पर ब्राह्मणों और ऋषियों पर होने वाले अत्याचारों का अंत करने के लिए श्रीहरि ने भगवान परशुराम के रूप में छठा अवतार लिया था. कहा जाता है कि भगवान परशुराम एक बार कैलाश में भगवान शिव से मिलने के लिए पहुंचे, लेकिन गणेश जी ने उन्हें रोक दिया. इस बात से क्रोधित होकर परशुराम ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था, जिसके बाद से गणेश जी एकदंत कहलाए. इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया जाता है.