Pandit Ram Prasad Bismil Jayanti 2022 Quotes: पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जयंती पर अपनों संग शेयर करें उनके ये महान क्रांतिकारी विचार
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल हिंदू-मुस्लिम एकता में काफी विश्वास रखते थे. अशफाक उल्ला खां और राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती ने हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल पेश की. हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले बिस्मिल के विचार भी उनकी तरह क्रांतिकारी थे, जिन्हें आप उनकी जयंती के इस खास अवसर पर अपनों संग शेयर करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
Pandit Ram Prasad Bismil Quotes: आज यानी 11 जून 2022 को देश के स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil Jayanti) की जयंती मनाई जा रही है. बिस्मिल का जन्म 1897 में ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी प्रांत (उत्तर प्रदेश) के शाहजहांपुर में हुआ था. बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) न सिर्फ एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वो एक बेहतरीन कवि और अच्छे लेखक भी थे. वो महज 11 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. खेलने-कूदने की उम्र में क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से राम प्रसाद बिस्मिल एक वीर क्रांतिकारी के साथ-साथ बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी बन गए. उन्हें साल 1918 के मैनपुरी षडयंत्र और 1925 के काकोरी कांड में हिस्सा लेने के लिए जाना जाता है.
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल हिंदू-मुस्लिम एकता में काफी विश्वास रखते थे. अशफाक उल्ला खां और राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती ने हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल पेश की. हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले बिस्मिल के विचार भी उनकी तरह क्रांतिकारी थे, जिन्हें आप उनकी जयंती के इस खास अवसर पर अपनों संग शेयर करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
1- देश हित में पैदा हुए हैं देश पर मर जाएंगे,
मरते-मरते देश को जिंदा मगर कर जाएंगे.
2- हम अमन चाहते हैं जुल्म के खिलाफ,
फैसला अगर जंग से होगा तो जंग ही सही.
3- दुनिया से गुलामी का मैं नाम मिटा दूंगा,
एक बार जमाने को मैं आजाद बना दूंगा,
बेचारे गरीबों से नफरत है जिन्हें,
एक दिन मैं उनकी अमीरी को मिटटी में मिला दूंगा .
4- अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में,
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो."
5- मैं ब्रिटिश साम्राज्य का नाश चाहता हूं.
6- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है.
गौरतलब है कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए हथियार खरीदने के मकसद से राम प्रसाद बिस्मिल ने अशफाक उल्ला खां के साथ काकोरी कांड की साजिश रची. इसके बाद 9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने की इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम दिया गया. काकोरी कांड के बाद अंग्रेजी सरकार ने बिस्मिल को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. उन्हें महज तीस साल की उम्र में 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर की जेल में फांसी दे दी गई. बिस्मिल ने फांसी का फंदा अपने गले में डालने से पहले भी 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है' कविता पढ़ी थी, फिर हंसते-हंसते मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए.