Onam/Thiruvonam 2019: थिरुओणम के दिन असुर राजा महाबली आते हैं अपनी प्रजा से मिलने, जानिए ओणम पर्व का महत्व और इससे जुड़ी परंपरा

मान्यता है कि थिरुओणम के दिन असुर राजा महाबलि पाताल लोक से धरती पर अपनी प्रजा से मिलने के लिए आते हैं और उन्हीं के स्वागत में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान लोग नए पारंपरिक लिबास पहनते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, मुख्य द्वार पर फूलों से रंगोली बनाते हैं और लजीज पकवान बनाए जाते हैं.

ओणम/थिरुओणम 2019 (Photo Credits: Pixabay)

Onam/Thiruvonam 2019: दक्षिण भारत के केरल (Kerala) में ओणम (Onam) का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. खेतों में फसलों की उपज की खुशी के तौर पर 10 दिनों तक ओणम पर्व को परंपरागत तरीके से मनाया जाता है. ओणम के पहले दिन को अथम (Atham) और उत्सव के समापन यानी आखिरी दिन को थिरुओणम (Thiruvonam) कहा जाता है. ओणम का पर्व इस साल 1 सितंबर से 13 सितंबर 2019 तक मनाया जा रहा है. ओणम पर दक्षिण भारतीय महिलाएं अपने घरों की दहलीज को फूलों से सजाती हैं. कहा जाता है थिरुओणम के दिन साल में एक बार असुर राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए पाताल लोक से धरती पर आते हैं, इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए इस विशेष अवसर पर खट्टे-मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं. देवता को समर्पित करने के बाद इन व्यंजनों को लोग सामूहिक भोज के रूप में ग्रहण करते हैं.

मलयाली पंचांग के अनुसार, कोलावर्षम (Kollavarsham) के पहले महीने छिंगम (Chingam) में ओणम उत्सव मनाया जाता है, जबकि ग्रेरोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के अनुसार, यह त्योहार अगस्त से सितंबर महीने के बीच पड़ता है. इस बार थिरुओणम 11 सितंबर को मनाया जा रहा है. यह भी पढ़ें: Onam 2019: केरल में 10 दिवसीय ओणम त्योहार की हुई शुरुआत, किसानों का है यह खास पर्व, जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता

थिरुओणम का शुभ मुहूर्त-

थिरुओणम नक्षत्र प्रारंभ- 10 सितंबर, सुबह 11.09 बजे से,

थिरुओणम नक्षत्र समाप्त- 11 सितंबर दोपहर 1.59 बजे तक.

प्रजा से मिलने आते हैं राजा महाबली

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा महाबली अपनी प्रजा के बीच देवताओं की तरह पूजे जाते थे, उन्होंने अपने तपोबल से कई शक्तियां और सिद्धियां हासिल कर ली थी. इन शक्तियों को प्राप्त करने के बाद उन्होंने इंद्रलोक पर अपना अधिकार कर लिया. इसके बाद देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद की गुहार लगाई. देवताओं की प्रार्थना को स्वीकर करते हुए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया. इसके बाद वे राजा महाबली के पास उस वक्त पहुंचे जब वो अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे. महाबली ने उनका सत्कार किया और आखिर में उनसे भेंट मांगने के लिए कहा, तब वामन रूपी श्रीहरि बोले कि उन्हें तीन कदम रखने के लिए जगह चाहिए. उनकी इस मांग को महाबली ने स्वीकार कर लिया.

इसके बाद वामन ने अपने एक कदम से भू लोक, दूसरे कदम से आकाश को नाप लिया, जब वामन रूपी श्रीहरि ने पूछा कि वो अपना तीसरा पग कहां रखें तो महाबली ने अपना सिर उनके सामने झुका लिया. तीसरा पग महाबली के सिर पर रखते ही वो पाताल लोक पहुंच गए.

कहा जाता है कि महाबली के प्रति उनकी प्रजा का प्यार और विश्वास देख भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे साल में एक बार तीन दिनों के लिए अपनी प्रजा से मिलने आ सकेंगे. माना जाता है कि थिरुओणम के दिन राजा महाबली केरल की जनता के बीच उनका हालचाल जानने के लिए आते हैं. यह भी पढ़ें: Onam 2019 Recipes: ओणम उत्सव के दौरान बनाए जाते हैं ये 5 लजीज मलयाली व्यंजन, बनाने की विधि जानने के लिए देखें वीडियो

ओणम से जुड़ी परंपराएं

ओणम का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन ओणम के दो दिन बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इस दौरान लोग नए पारंपरिक लिबास पहनते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, मुख्य द्वार पर फूलों से रंगोली बनाते हैं और लजीज पकवान बनाए जाते हैं. मान्यता है कि थिरुओणम के दिन असुर राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर अपनी प्रजा से मिलने के लिए आते हैं और उन्हीं के स्वागत में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है.

गौरतलब है कि ओणम के पर्व को केरल में परंपरागत तरीके से बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. ओणम उत्सव के दौरान ओनासद्या यानी एक पारंपरिक दावत समारोह का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें मीठे व्यंजनों के अलावा नौ स्वादिष्ट व्यंजनों को केले के पत्तों पर परोसा जाता है. इस उत्सव के सबसे खास दिन यानी थिरुओणम के शुभ अवसर पर लोग अपने दोस्तों और परिवार वालों से मिलकर इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं. केरल में इस पर्व के लिए चार दिन की छुट्टी रहती है, जो थिरुओणम के एक दिन पहले से शुरू होकर उसके दो दिन बाद समाप्त होती है.

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