Navratri 2018: नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी कूष्मांडा का पूजन, सृष्टि की हैं आदिस्वरूपा

माता कुष्मांडा ने अपनी मंद, हल्की सी हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड की रचना की. इसलिए उन्हें कुष्माडां कहते हैं. ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली नवदुर्गा के इस स्वरूप को सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति भी कहा जाता है.

देवी कूष्मांडा (File Photo)

आज नवरात्रि का तीसरा दिन है और चतुर्थी तिथि है इसलिए आज नवदुर्गा के चौथे स्वरूप यानी मां कूष्मांडा की उपासना का दिन है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, देवी के इस स्वरूप की उपासना से भक्तों के जीवन से तमाम कष्ट दूर होते हैं. मान्यता है कि मां कूष्मांडा के पूजन से व्यक्ति की कुंडली में स्थित बुध ग्रह से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं. देवी कूष्मांडा शेर के ऊपर रौद्र रूप में सवार रहती हैं. आइए जानते हैं नवदुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा के भव्य रूप की महिमा और उनके पूजन की विधि.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पृथ्वी पर कुछ नहीं था और हर जगह सिर्फ अंधकार ही अंधकार था, तब माता कूष्मांडा ने अपनी मंद, हल्की सी हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड की रचना की.  इसलिए उन्हें कूष्माडां कहते हैं. ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली नवदुर्गा के इस स्वरूप को सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति भी कहा जाता है.

ऐसा है उनका स्वरूप 

देवी कुष्मांडा शेर के ऊपर रौद्र रूप में सवार रहती हैं. वे अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं. मां की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. उनके अष्ट भुजाओं में कमंडल, चक्र, कमल, अमृत कलश और जप माला इत्यादि सुशोभित हैं. सिंह पर सवार मां कूष्मांडा शुद्धता की देवी हैं और उनके इस रूप की उपासना करने से सभी रोग, दुख और कष्ट दूर होते हैं. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: नवरात्रि की तृतीया तिथि पर करें मां चंद्रघंटा की पूजा, कल्याणकारी है देवी का यह स्वरूप

पूजन विधि 

नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को हरे रंग के कपड़े पहनकर मां कूष्मांडा का पूजन करना चाहिए. पूजन के दौरान मां को हरी इलायची, सौंफ और कुम्हड़ा अर्पित करें. पूजन के दौरान सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना उत्तम माना जाता है.

मंत्र- 'ॐ कूष्मांडा  देव्यै नमः' का 108 बार जाप करें. इसके अलावा आप देवी को प्रसन्न करने के लिए 'या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।' मंत्र का जप भी कर सकते हैं.

अर्पित करें ये भोग 

मां कूष्मांडा को उनका प्रिय भोग अर्पित करने से वे भक्तों पर प्रसन्न होती हैं. इसलिए मां कुष्मांडा के पूजन के दौरान उन्हें मालपुए का भोग लगाना चाहिए.  इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी होती है. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, जीवन की समस्त परेशानियों से मिलेगी मुक्ति

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