Hartalika Teej 2020 Easy Last-Minute Mehndi Designs: हरतालिका तीज के लिए लास्ट मिनट मेहंदी डिजाइन, देखें लेटेस्ट आसान अरेबिक, फ्लोरल पैटर्न के फोटोज और वीडियो
अगर आपने हरतालिका तीज का व्रत रखा है और अब तक आप अपने हाथों में मेहंदी नहीं रचा पाई हैं तो घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि हम आपके लिए लेकर आए हैं लास्ट मिनट मेहंदी डिजाइन्स, जिन्हें आप झटपट अपने हाथों पर रचाकर अपनी सुंदरता को निखार सकती हैं. आप लेटेस्ट अरेबिक मेहंदी और फ्लोरल मेहंदी डिजाइन्स की तस्वीरों और ट्यूटोरियल वीडियो की मदद से सकती हैं.
Hartalika Teej Mehndi Designs: हैप्पी हरतालिका तीज! (Happy Hartalika Teej) आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. हर साल इसी पावन तिथि पर सुहागन महिलाएं (Married Women) पति की दीर्घायु के लिए हरतालिका तीज का व्रत (Hartalika Teej Vrat) करती हैं. इस दिन सुहागन स्त्रियां अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से निर्जल व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना से इसका व्रत करती हैं. इस दिन सोलह श्रृंगार कर महिलाएं भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा करती हैं और इस पर्व की शुभता को बढ़ाने के लिए हाथों में मेहंदी रचाई जाती है. दरअसल, मेहंदी (Mehndi) को सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) में से एक माना जाता है, इसलिए इस दिन महिलाएं अपने हाथों और पैरों में मेहंदी रचाती हैं.
अगर आपने हरतालिका तीज का व्रत रखा है और अब तक आप अपने हाथों में मेहंदी नहीं रचा पाई हैं तो घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि हम आपके लिए लेकर आए हैं लास्ट मिनट मेहंदी डिजाइन्स, जिन्हें आप झटपट अपने हाथों पर रचाकर अपनी सुंदरता को निखार सकती हैं. आप लेटेस्ट अरेबिक मेहंदी और फ्लोरल मेहंदी डिजाइन्स की तस्वीरों और ट्यूटोरियल वीडियो की मदद से सकती हैं.
हरतालिका तीज स्पेशल मेहंदी
सिंपल हरतालिका तीज मेहंदी
ईजी क्रिसक्रॉस मेहंदी डिजाइन
हरतालिका तीज फ्लोरल डिजाइन
शिव-पार्वती पोर्ट्रेट मेहंदी
हरतालिका तीज से जुड़ी प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से हरतालिका तीज पर पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है और उनके रिश्ते मजबूत होते हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है. इस पर्व को उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत के कर्नाटक और तमिलनाडु में इस पर्व को गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है.