Mahatma Gandhi Death Anniversary 2020: महात्मा गांधी के इस फैसले से नाराज होकर नाथूराम गोडसे बना उनकी जान का दुश्मन, गोली मारकर की बापू की हत्या
महात्मा गांधी (Photo Credits: File Photo)

Martyrdom Day of Mahatma Gandhi 2020: हर साल 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (Mahatma Gandhi Punyatithi) को शहीद दिवस (Martyrs Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूरा देश बापू (Bapu) को याद करता है और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए सभाएं आयोजित की जाती हैं. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने एक-एक कर तीन गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)  का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. सत्य और अहिंसा की राह पर चलने वाले महात्मा गांधी ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी. भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने कई आंदोलन किए थे, जिसके चलते उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा.

आपको जानकर हैरानी होगी कि महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे कभी उन्हें अपना आदर्श मानता था, लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने गोडसे को बापू की जान का दुश्मन बना दिया. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर चलिए जानते हैं महात्मा गांधी का वो फैसला, जिससे नाराज होकर नाथूराम गोडसे उनकी जान का दुश्मन बन गया और उनकी हत्या कर दी.

गांधी के इस फैसले से नाराज था गोडसे

अंग्रेजों की गुलामी से भारत को जब आजादी मिली तो उसका विभाजन भी हुआ. आजादी के बाद भारत से अलग होकर पाकिस्तान अस्तित्व में आया. महात्मा गांधी चाहते थे कि पाकिस्तान को भारत की तरफ से आर्थिक सहायता प्रदान की जाए और इसके लिए उन्होंने उपवास भी रखा. नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी के इस फैसले के खिलाफ थे, उन्हें लगता था कि गांधी जी के कारण ही सरकार मुस्लिमों के प्रति तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. गोडसे का मानना था कि भारत के विभाजन के समय हुई सांप्रदायिक हिंसा में लाखों हिंदुओं की हत्या के लिए बापू जिम्मेदार थे. बापू के इसी फैसले ने गोडसे को उनकी जान का दुश्मन बना दिया. यह भी पढ़ें: Mahatma Gandhi Jayanti 2019 Songs: महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर बापू के इन 5 गीतों से करें उन्हें याद

गोडसे ने ऐसे की थी बापू की हत्या

गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को बापू का सीना उस वक्त छलनी कर दिया जब वे दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे थे. बापू के पैर छूने के बहाने गोडसे बापू के पास पहुंचे और उनके पास खड़ी महिला को हटाया. फिर अपनी सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल निकालकर उनके सीने पर एक-एक कर तीन गोलियां चला दी. गांधी जी पर गोलियां चलते देख वहां अफरा-तफरी मच गई. हालांकि बापू की हत्या के तुरंत बाद ही गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया. बापू की हत्या के आरोप में गोडसे पर शिमला की अदालत में ट्रायल चला और 15 नवंबर 1949 को उन्हें फांसी पर चढ़ाया गया.