Mangla Gauri Vrat 2023: आज है मंगला गौरी का अंतिम व्रत! इस दिन क्यों करते हैं मंगला गौरी व्रत का उद्यापन!

प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. इस वर्ष अधिमास के कारण श्रावण मास 59 दिन का था, इस वजह से गौरी भक्तों को मंगला गौरी के नौ व्रत रखने का अवसर मिला. आज 29 अगस्त 2023 को श्रावण मास का मंगला गौरी का नौवां एवं अंतिम व्रत रखा जाएगा...

Mangala Gauri Vrat 2023

प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. इस वर्ष अधिमास के कारण श्रावण मास 59 दिन का था, इस वजह से गौरी भक्तों को मंगला गौरी के नौ व्रत रखने का अवसर मिला. आज 29 अगस्त 2023 को श्रावण मास का मंगला गौरी का नौवां एवं अंतिम व्रत रखा जाएगा. देवी मंगला गौरी माँ पार्वती का प्रतिरूप हैं, इसलिए इस दिन माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करते हैं. अमूमन यह व्रत कुंवारी कन्याएं मनपसंद जीवनसाथी के लिए एवं सुहागन स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने के लिए रखती हैं. गौरतलब है कि अगर आप पिछले आठ मंगला गौरी का व्रत रख चुके हैं, तो इस अंतिम मंगला गौरी का व्रत रखते हुए इसका उद्यापन अवश्य करनी चाहिए. तभी व्रत का संकल्प और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइये जानें कैसे करें मंगला गौरी व्रत का उद्यापन. यह भी पढ़ें: September 2023 Festivals: इस माह कृष्णावतार के बाद पधारेंगे गणपति बप्पा! जानें सितंबर माह के व्रत एवं पर्वों की सूची!

मंगला गौरी व्रत का महात्म्य

मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत की शुरुआत देवी पार्वती का स्वरूप कही जाने वाली माता गौरी ने ही की थी. दरअसल माता गौरी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं. इसीलिए इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. श्रावण मास में पड़ने वाला मंगला गौरी का यह व्रत अमूमन माह में चार या पांच होते हैं, लेकिन अधिमास के कारण इस बार कुल नौ मंगला गौरी के व्रत पड़ेंगे. मान्यता है कि मंगला गौरी का व्रत रखने वालों की कुंडली में अगर मंगल दोष है तो वह मिट जाता है.

मंगला गौरी व्रत का उद्यापन

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार मंगला गौरी का यह अंतिम व्रत होने के कारण इसका उद्यापन करना आवश्यक होता है. उद्यापन के तहत इस दिन व्रती महिला ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान कर पूरे घर और मंदिर की सफाई करें. इसके बाद सभी स्थानों पर गंगाजल छिड़कें. एक लकड़ी का खंबा स्थापित करें. इसके चारों तरफ केले का पत्ता बांधे. इसके सामने एक कलश स्थापित करें. कलश पर मंगला गौरी की सोने अथवा पीतल की प्रतिमा स्थापित करें. सर्वप्रथम गणेश जी की विधिवत पूजा करें, इसके पश्चात मंगला देवी को

सुहाग के सामान के साथ वस्त्र एवं नथ चढ़ाएं. निम्न मंत्रों का जाप करें.

ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।

ॐ गौरीशंकराय नमः

इसके बाद माता पार्वती की 16 दीपों के साथ आरती उतारें. बेहतर होगा कि इसके बाद अपने पति के साथ हवन करें. अब मां मंगला गौरी से सुखी वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु की कामना करें. अब एक ब्राह्मण के साथ सोलह सुहागन महिलाओं को भोजन करायें और यथोचित दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें.

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