Mangala Gauri Vrat 2023: सावन का पहला मंगला गौरी व्रत कल से शुरू! जानें इसका महत्व, मुहूर्त, पूजा-विधि और पौराणिक कथा!
सनातन धर्म में सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विधान है तो सावन के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती की पूजा की जाती है. देवी पुराण में देवी पार्वती मंगला देवी नाम से भी वर्णित हैं. यह व्रत महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु हेतु करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से देवी पार्वती प्रसन्न होकर अपनी जातक को सदैव सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
Mangala Gauri Vrat 2023: सनातन धर्म में सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विधान है तो सावन के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती की पूजा की जाती है. देवी पुराण में देवी पार्वती मंगला देवी नाम से भी वर्णित हैं. यह व्रत महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु हेतु करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से देवी पार्वती प्रसन्न होकर अपनी जातक को सदैव सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई 2023, मंगलवार को रखा जाएगा. आइये जानते हैं मंगला गौरी व्रत-पूजा का महत्व, मंत्र, मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा. यह भी पढ़ें: Ashadha Purnima 2023: आज आषाढ़ पूर्णिमा पर श्री हरि-लक्ष्मी की करें संयुक्त पूजा! धन-धान्य के साथ मान-सम्मान में होगी वृद्धि!
मंगला गौरी व्रत का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार मंगला गौरी व्रत रखने वाली स्त्री माता पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्यवती होती है. जिस स्त्री के पति को किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट, बीमारी हो अथवा जो कन्या अपनी पसंद के वर से विवाह करना चाहती है, उन्हें मंगला गौरी के व्रत पूरे विधि-विधान एवं नियमित रूप से करना चाहिए. उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उनका गृहस्थ जीवन सुखमय और खुशहाल रहता है.
प्रथम मंगला गौरी पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्तः 08.57 AM से 02.10 PM (04 जुलाई 2023, मंगलवार)
लाभ मुहूर्तः 10.41. से 12.25 PM तक (04 जुलाई 2023,)
अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त 12.25 PM से 02.10 PM तक (04 जुलाई 2023,)
मंगला गौरी व्रत की पूजाविधि
सावन के मंगलवार की सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर पति-पत्नी स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. एक पाटले पर लाल वस्त्र बिछाकर शिव-पार्वती की प्रतिमा तथा शिवलिंग स्थापित करें. सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की स्तुतिगान करें. अब शिवलिंग पर जल, विल्वपत्र, धतूरा, पुष्प अर्पित करें. देवी पार्वती को अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, लाल फूल, माला, इत्र, मौली, श्रृंगार और सुहाग की सारी सामग्री, सूखे मेवे, पान-सुपारी, फल एवं मिष्ठान चढ़ाएं. धूप एवं दीप प्रज्वलित करें. मंगला देवी के निम्न में से किसी एक या दोनों मंत्र का जाप करें.
'ॐ गौरी शंकराय नमः' या 'ॐ श्री मंगला गौरी नमः'
मंत्रोच्चारण के बाद देवी मंगला से करबद्ध प्रार्थना करें, उन्हें अपने जीवन में चल रही तमाम समस्याओं को दूर करने का आग्रह करें. मंगला गौरी की यह पूजा निरंतर पांच वर्ष तक करने के बाद ही उद्यापन करें. मां मंगला गौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
मंगला गौरी व्रत कथा
किसी नगर में धर्मपाल नामक व्यापारी सपत्नी रहता था. उनके पास अपार धन-दौलत और बुद्धिमान पत्नी भी थी, लेकिन वे निसंतान थे. संतान प्राप्ति हेतु धर्मपाल सपत्नी हर व्रत-अनुष्ठान, यज्ञ-दान आदि करते थे. ईश्वर की कृपा से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन ज्योतिषियों ने यह बता कर दम्पति को दुखी कर दिया कि 16वें वर्ष में सर्पदंश से पुत्र की मृत्यु हो जाएगी. धर्मपाल ने पुत्र के भविष्य को भगवान भरोसे छोड़ उसका विवाह एक सुंदर स्त्री से कर दिया. संयोगवश वह सुंदरी मंगला गौरी का नियमित व्रत-अनुष्ठान करती थी, जिससे उसे अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था. लिहाजा धर्मपाल के पुत्र को दीर्घायु प्राप्त हो गया.