Mangal Pandey Death Anniversary 2020: मंगल पांडे की 163वीं पुण्यतिथि, जानें 1857 की क्रांति के नायक के जीवन से जुड़ी अनसुनी दिलचस्प बातें
आजादी की लड़ाई के सबसे पहले क्रांतिकारी मंगल पांडे ने ही देशवासियों के मन में स्वतंत्रता की भावना जगाई थी. ब्रिटिश हुकूमत से आजाद होने और खुली हवा में सांस लेने के लिए 1857 के विद्रोह का आगाज करने वाले मंगल पांडे की आज 163वीं पुण्यतिथि है. अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए महज 29 साल की उम्र में मंगल पांडे को 8 अप्रैल के दिन फांसी पर चढ़ा दिया गया था.
Mangal Pandey Punyatithi 2020: 1857 के विद्रोह (Indian Rebellion of 1857) के सबसे बड़े नायक मंगल पांडे (mangal Pandey) को भारत की आजादी की लड़ाई (Freedom Fight) में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों (Freedom Fighter) में से एक माना जाता है. आजादी की लड़ाई के सबसे पहले क्रांतिकारी मंगल पांडे ने ही देशवासियों के मन में स्वतंत्रता की भावना जगाई थी. ब्रिटिश हुकूमत (British Rule) से आजाद होने और खुली हवा में सांस लेने के लिए 1857 के विद्रोह का आगाज करने वाले मंगल पांडे की आज 163वीं पुण्यतिथि (Mangal Pandey 163rd Death Anniversary) है. अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए महज 29 साल की उम्र में मंगल पांडे को 8 अप्रैल के दिन फांसी पर चढ़ा दिया गया था. मंगल पांडे ब्रिटिश सेना में एक भारतीय सैनिक थे, उनका जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था. उनके पिता जी का नाम दिवाकर पांडे और माता जी का नाम अभारानी पांडे था. मंगल पांडे ने 1849 में बंगाल आर्मी जॉइन की थी.
मंगल पांडे की 163वीं पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुने दिलचस्प किस्से, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
मंगल पांडे से जुड़ी रोचक बातें-
1- मंगल पांडे जब साल 1949 में भारतीय सेना में शामिल हुए तो उन्हें पहली बार बंगाल सेना में शामिल किया गया. हालांकि बाद में उन्हें 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री (बीएनआई) की 5वीं कंपनी में ट्रांसफर कर दिया गया था.
2- पहले मंगल पांडे को फांसी देने की तारीख 18 अप्रैल तय की गई थी, लेकिन उस समय बढ़ते तनाव को देखते हुए उन्हें फांसी देने की तारीख बदल दी गई और 8 अप्रेल को फांसी दे दी गई.
3- उनकी मौत के बाद 34वें बीएनआई जिसका हिस्सा मंगल पांडे थे, उस रेजिमेंट को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कर्तव्यों को निभाने में विफल रहने के लिए भंग कर दिया.
4- रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगल पांडे पर आरोप लगाया गया था कि अपने कोर्ट-मार्शल के दौरान उन्होंने अफीम व भांग का सेवन किया था और अपने कार्यों के प्रति सचेत नहीं थे.
5- 1857 के विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ था. सेना में शामिल किए गए नए रायफल ‘एनफील्ड p53’ में लगने वाले कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी थी. सैनिकों को इसमें ग्रीज लगी कार्टिज को मुंह से छीलकर हटाना पड़ता था.
6- ब्रिटिश सेना के खिलाफ मंगल पांडे द्वारा किए गए विद्रोह को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम या 1857 के भारतीय विद्रोह के नाम से जाना जाता है.
7- साल 2005 में मंगल पांडे के जीवन पर आधारित एक फिल्म बनी थी, जिसका नाम था 'मंगल पांडे: द राइजिंग' इस फिल्म में आमिर खान ने मंगल पांडे की भूमिका निभाई थी.
8- भारत सरकार ने 1857 के विद्रोह के नायक मंगल पांडे के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था. इसके अलावा बैरकपुर में मंगल पांडे के नाम पर एक पार्क बनाया गया है, जिसका नाम शहीद मंगल पांडे महा उद्यान है.
9- मंगल पांड के ट्रायल के दौरान उनसे इस विद्रोह में शामिल अन्य सहयोगियों का नाम बताने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं बताया और हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर लटक गए.
10- ऐसा कहा जाता है कि मंगल पांडे के विद्रोह के कारण ब्रिटिश साम्राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी पर भरोसा नहीं रहा और भारत को महारानी विक्टोरिया के प्रत्यक्ष शासन में रखा गया.
नोट: इस लेख में बताए गए सभी तथ्यों को इंटरनेट पर मौजूद विभिन्न स्रोतों से लिया गया है, इसलिए इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि हम नहीं करते हैं. हमें उम्मीद है कि 1857 के नायक और भारत के वीर स्वतंत्रता सेनाना मंगल पांडे के जीवन से जुड़ी ये रोचक बातें आपको पसंद आई होंगी.