Mahavir Jayanti 2021 Wishes in Hindi: इस साल महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) 25 अप्रैल 2021 (रविवार) को मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन महावीर जयंती का त्योहार मनाया जाता है, जिसे भगवान महावीर के जन्मोत्सव के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. बिहार के कुंडग्राम यानी कुंडलपुर के राज परिवार में जन्में भगवान महावीर को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के तौर पर जाना जाता है. भगवान महावीर (Lord Mahavir) जैन धर्म (Jain Religion) के उन 24 लोगों में से एक हैं, जिन्होंने कड़ी तपस्या कर आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी. इस दिन देशभर के जैन मंदिरों में भगवान महावीर की पूजा-अर्चना की जाती है. शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं और स्वामी महावीर के जन्मोत्सव की खुशी मनाई जाती है.
भगवान महावीर ने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर स्वामी महावीर जयंती को धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है. इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं. आप भी महावीर जयंती पर इन शानदार हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, कोट्स, फेसबुक मैसेजेस और जीआईएफ इमेजेस को अपनों संग शेयर करके इस पर्व की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- सत्य-अहिंसा धर्म हमारा,
नवकार हमारी शान है,
महावीर जैसा नायक पाया,
जैन हमारी पहचान है.
महावीर जयंती की शुभकामनाएं
2- क्रोध को शांति से जीतें,
दुष्ट को साधुता से जीतें,
कृपण को दान से जीतें,
असत्य को सत्य से जीतें.
महावीर जयंती की शुभकामनाएं
3- अगर किसी से कुछ सीखा है तो इन लोगों से सीखा...
सेवा- श्रवण से,
मर्यादा- राम से,
अहिंसा- बुद्ध से,
मित्रता- कृष्ण से,
लक्ष्य- एकलव्य से,
दान- कर्ण से,
तपस्या- महावीर से...
महावीर जयंती की शुभकामनाएं
4- महावीर जिनका नाम है,
पलिताना जिनका धाम है,
अहिंसा जिनका नारा है,
ऐसे त्रिशला नंदन को प्रणाम हमारा है.
महावीर जयंती की शुभकामनाएं
5- अरिहंत की बोली, सिद्धों का सार,
आचार्यों का पाठ, साधुओं का साथ,
सत्य और अहिंसा का प्रचार,
मुबारक हो आपको महावीर जयंती का त्योहार.
महावीर जयंती की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि महावीर जी के बचपन का नाम वर्धमान था, जबकि उनकी माता का नाम महारानी त्रिशला और पिता का नाम महाराज सिद्धार्थ था. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, आत्मज्ञान की तलाश में स्वामी महावीर ने 30 साल की उम्र में अपना राज-पाट और घर-बार छोड़ दिया था. फिर उन्होंने करीब 12 सालों तक उन्होंने कठोर तप किया और दीक्षा ग्रहण की. कड़ी तपस्या के चलते उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे जैन धर्म के तीर्थंकर कहलाए. उन्होंने अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य के बारे में बताया, जिसे जैन धर्म का पंचशील सिद्धांत कहा जाता है.