इस बार का महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) कई मायनों में बेहद खास होने वाला है. सोमवार का स्वामी चन्द्रमा है. ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को सोम कहा गया है और भगवान शिव को सोमनाथ अतः सोमवार को महाशिवरात्रि का होना बहुत ही शुभ माना गया है. इस साल महाशिवरात्रि 4 मार्च को मनाया जाने वाला है. साल में 12 शिवरात्री व्रत होते हैं जो कि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. वहीं फाल्गुन माघ की कृष्ण चतुर्थी को महाशिवरात्रि का संयोग होता है और इसे बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है.
सोमवार को शिवजी की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं. महाशिवरात्रि पर इस बार एक और अहम संयोग बन रहा है. इस दिन प्रयागराज में चल रहे कुंभ का अंतिम शाही स्नान भी है. महाशिवरात्रि को पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को फलाहार किया जाता है. इस दिन व्रत रखने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
पौराणिक मान्यताएं: महाशिवरात्रि मनाने के पीछे बहुत सारी पौराणिक मान्यताएं हैं. ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव का जन्म हुआ था. ये भी कहा जाता है की इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रगट हुए थे. इसलिए शिवरात्री के दिन शिवलिंग की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं में ये भी कहा गया है कि इसी दिन शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.
पूजा विधि: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन कुछ ऐसी चीजों का ध्यान रखना चाहिए जो भगवान शिव को बिलकुल भी नहीं चढ़ानी चाहिए. शिव को भांग धतूरा बहुत पसंद है इसलिए इस दिन इसे चढ़ाना न भूलें. भगवान शिव का शंख से जलाभिषेक करें और उसके बाद बेल पत्र चढ़ाएं.
शुभ मुहूर्त शुरू - शाम 04:28, 4 मार्च 2019
शुभ मुहूर्त समाप्त - 07:07, 5 मार्च 2019
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को कभी भी ये चीजें नहीं चढ़ानी चाहिए.
केतकी के फूल: पौराणिक कथा के अनुसार केतकी के फूल ने झूठ में ब्रह्मदेव का साथ दिया था जिसके बाद शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया था और उन पर केतकी का पुल चढ़ाना वर्जित कर दिया था.
हल्दी: शिवजी के अलावा सभी देवी देवताओं को हल्दी और सुगन्धित वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं. शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतिक है और हल्दी महिलाओं का प्रतिक है. इसलिए हल्दी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जाती है.
कुमकुम और सिन्दूर: अपने पति की लम्बी उम्र के लिए महिलाएं कुमकुम और सिन्दूर लगाती हैं. लेकिन शिव विनाशक हैं. इसलिए शिव को सिन्दूर और कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता है.
तुलसी के पत्ते: सभी पूजा में तुलसी की पत्तियां इस्तेमाल की जाती है इसे बहुत ही शुभ माना जाता है. लेकिन भगवन शिव की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. भगवान शिव ने तुलसी के पति का वध किया था. जिसके बाद गुस्से में तुलसी ने शिव की पूजा में अपने पत्ते न चढ़ाए जाने का श्राप दिया था.
कुंवारी लड़कियां महाशिवरात्री का व्रत अच्छा वर पाने के लिए और शादीशुदा महिलाएं पारिवारिक जीवन में शांति के लिए रखती हैं.