Maha Sasthi 2024 Wishes: हैप्पी महा षष्ठी! मां दुर्गा के इन मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Wallpapers, HD Images को भेजकर दें बधाई
शारदीय नवरात्रि की महा षष्ठी तिथि बंगाली समुदाय के लिए बेहद खास होती है, इसलिए एक-दूसरे को इसकी बधाई दी जाती है. ऐसे में आप भी मां दुर्गा के इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स, एचडी इमेजेस को भेजकर अपनों से हैप्पी महा षष्ठी कह सकते हैं.
Maha Sasthi 2024 Wishes in Hindi: इस साल 03 अक्टूबर 2024 से मां दुर्गा (Maa Durga) की उपासना के महापर्व शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) की शुरुआत हुई है, जबकि इसका समापन 12 अक्टूबर को विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरे (Dussehra) के साथ होगा. शारदीय नवरात्रि के छठे दिन यानी षष्ठी तिथि को महा षष्ठी (Maha Sasthi) कहा जाता है. एक तरफ जहां षष्ठी तिथि मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी (Maa Katyayani) को समर्पित है तो वहीं इसी दिन से पांच दिवसीय दुर्गा पूजा (Durga Puja) की भव्य शुरुआत होती है. इस साल दुर्गा पूजा की शुरुआत 08 अक्टूबर 2024 से हो रही है और 12 अक्टूबर 2024 को विजयादशमी मनाई जाएगी. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा महालया यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन कैलाश से धरती पर आती हैं और 9 दिनों तक भक्तों के बीच रहकर उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं, फिर विजयादशमी के दिन कैलाश के लिए प्रस्थान करती हैं.
दुर्गा पूजा यानी दुर्गा पूजो के पर्व को पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि की महा षष्ठी तिथि बंगाली समुदाय के लिए बेहद खास होती है, इसलिए एक-दूसरे को इसकी बधाई दी जाती है. ऐसे में आप भी मां दुर्गा के इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स, एचडी इमेजेस को भेजकर अपनों से हैप्पी महा षष्ठी कह सकते हैं.
गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोग दुर्गा पूजा उत्सव को बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. शारदीय नवरात्रि की षष्ठी तिथि यानी महा षष्ठी के दिन ढाक-ढोल और स्वादिष्ट पकवानों के साथ मां दुर्गा का स्वागत किया जाता है. इससे पहले महा पंचमी को देवी का आह्वान किया जाता है और महा षष्ठी को मां दुर्गा की प्रतिमा का अनावरण किया जाता है, फिर महा षष्ठी से लेकर दशमी तिथि तक मां दुर्गा की विधि-विधान से उपासना की जाती है और विजयादशमी के दिन उनकी प्रतिमाओं का विसर्जन कर उन्हें विदाई दी जाती है.