Lal Bahadur Shastri Jayanti 2021 Messages in Hindi: आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के साथ-साथ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) भी मनाई जा रही है. लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुगलसराय में पिता शारदा प्रसाद और माता रामदुलारी के घर हुआ था. कहा जाता है कि शास्त्री जी जब महज डेढ़ साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था. सिर से पिता का साया उठने के बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्हें चाचा जी के पास भेज दिया गया. शास्त्री जी कई मील तक नंगे पांव चलकर स्कूल जाते थे और महज 11 साल की उम्र में उन्होंने देश के लिए कुछ करने की ठान ली. 16 साल की उम्र में वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े. उन्होंने काशी विद्यापीठ से प्रदत्त स्नातक की डिग्री शास्त्री प्राप्त की, जिसके चलते उनके नाम के साथ शास्त्री जुड़ गया और उन्हें लाल बहादुर शास्त्री कहा जाने लगा.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरह ही लाल बहादुर शास्त्री का भी अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका रही है, इसलिए शास्त्री जयंती पर देशवासी उनके योगदान और उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं. आप भी इस खास अवसर पर इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स और एचडी इमेजेस को अपनों संग शेयर कर हैप्पी शास्त्री जयंती कह सकते हैं.
1- भारत मां के लाल, जिसकी बहादुरी पर सबको नाज है,
ऐसे ही लाल बहादुर शास्त्री जी की जरूरत भारत को आज है.
हैप्पी शास्त्री जयंती
2- शास्त्री जी जैसे आदर्श नेताओं का मनन करते हैं,
उनके जन्मदिन पर उनको हृदय से नमन करते हैं.
हैप्पी शास्त्री जयंती
3- लाल बहादुर शास्त्री भारत के लाल है,
उनके किए हुए हर काम कमाल हैं.
हैप्पी शास्त्री जयंती
4- 2 अक्टूबर शास्त्री जी का जन्मदिन, सबके लिए एक पर्व है,
ऐसे वीर सपूत पर तो भारत माता को भी गर्व है.
हैप्पी शास्त्री जयंती
5- प्रधानमंत्री बनकर भारत का,
जिन्होंने देश को नई उड़ान दिया,
याद रहे सदा उनका योगदान,
उपकार हम पर है महान किया.
हैप्पी शास्त्री जयंती
जय जवान, जय किसान का नारा बुलंद करने वाले और अपना पूरा जीवन गरीबों को समर्पित करने वाले शास्त्री जी ने अंग्रेजों के खिलाफ देश के स्वाधीनता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शास्त्री जी साल 1920 में आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए और असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें सात साल के लिए ब्रिटिश जेलों में भी रहना पड़ा था. उन्होंने ही जय जवान, जय किसान का नारा बुलंद किया था. उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति समझौते के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी.