Diwali 2019 Lakshmi Puja: शुभ मुहूर्त में ही फलदायी है लक्ष्मी पूजन, वास्तु का भी रखें ध्यान, मिलेगी अपार सफलता

पूजा शुरू करने से पूर्व मुख्य द्वारा पर बाहर की तरफ हल्दी अथवा रोली से स्वास्तिक के निशान अवश्य बना दें. मान्यता है कि स्वास्तिक के निशान के कारण बाहर की नकारात्मक एनर्जी घर के भीतर प्रवेश नहीं करती.

रविवार को लक्ष्मी पूजन है (File Photo)

Diwali 2019 Lakshmi Puja: धन और ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का खास पर्व है दीपावली. इस दिन माता लक्ष्मी एवं श्रीगणेश जी की पूजा के संदर्भ में वास्तुशास्त्री पं योगेश महाराज का कहना है कि कार्तिक मास की अमावस्या के प्रदोष काल के स्थिर लग्न में मां महालक्ष्मी की पूजा करना अतिफलदायी होगा. शुभ मुहूर्त में शुभ के देवता श्री गणेश, लाभ की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना करना चाहिए. क्योंकि शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर लक्ष्मी व्यक्ति विशेष के पास ही निवास करती है.

‘ब्रह्मपुराण’ के अनुसार मध्य रात्रि तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. पंडित योगेश के अनुसार कार्तिक अमावस्या का संयोग दो तक रहेगा. यानी रविवार दोपहर 12:13 से सोमवार की सुबह 9 बजे तक अमावस्या का योग है. इसलिए 27 अक्टूबर को ही दीपावली पूजन किया जाना चाहिए. इस स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा का खास महत्व है।

त्रेता एवं द्वापर युग से जारी है दीपावली की परंपरा

पंडित योगेश जी के अनुसार दीपावली की परंपरा त्रेता एवं द्वापर युग से चली आ रही है. त्रेतायुग में श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास से वापस अयोध्या लौटने और द्वापर में पांडवों के 13 वर्ष के वनवास एवं अज्ञातवास से लौटने पर लोगों ने शुद्ध घी के दीप जलाकर अपनी खुशियों का प्रदर्शन किया था. स्कंध पुराण और विष्णु पुराण में भी उल्लेखित है कि भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी के विवाह के उपलक्ष्य में दीपावली का पर्व मनाया जाता है

यह भी पढ़े: दीपावली के दिन होती है मां लक्ष्मी की पूजा, इन हिंदी WhatsApp Status, Facebook Messages, Greetings, GIF Images, SMS और Wallpapers के जरिए दें लक्ष्मी पूजन की शुभकामनाएं

मिलेगी आर्थिक समृद्धि

माता लक्ष्मी अर्थ की देवी हैं. योगेश जी के अनुसार दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा वृष लग्न में ही करना चाहिए. इससे सुख एवं शांति के साथ ही समृद्धि की भी प्राप्ति होती है. लेकिन इसके लिए आवश्यक है की दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा सायंकाल 6:30 बजे से 08 बजे तक कर लें तो अति उत्तम होगा.

दीपावली की रात घर में श्रीयंत्र की स्थापना लाभकारी मानी जाती है. इसके साथ ही गाय के घी का दीपक जलाकर माता लक्ष्मी को जागृत किया जाता है. इससे भौतिक सुख-शांति की प्राप्ति होती है. श्री यंत्र की पूजा के लिए निम्न मंत्र का जाप करते हुए माता लक्ष्मी का ध्यान करें.

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:

वास्तु के अनुरूप करें लक्ष्मी पूजा

दीपावली के दिन लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हर व्यक्ति अपनी तरफ से हर संभव कोशिश एवं पूजा अनुष्ठान करता है. लेकिन अंधेरे में तीर चलाने से बेहतर होगा कि सही लक्ष्य और समय के अनुरूप कार्य करें तभी लाभ की प्राप्ति होती है. गौरतलब है कि लक्ष्मी पूजन में वास्तु का कम महत्व नहीं होता. इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा से पूर्व एक नजर वास्तु की ओर भी डाल लेना चाहिए. यहां कुछ ऐसे ही टिप्स दिये जा रहे हैं.

* लक्ष्मी जी की पूजा के लिए बहुत बड़ी प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए. लक्ष्मी जी की पूजा से पूर्व देवाधिपति श्रीगणेश जी की पूजा करने से ही सार्थक फलों की प्राप्ति होती है. क्योंकि दोनों ही शुभ-लाभ के प्रतीक माने जाते हैं.

* दीपावली पर रंगोली का बहुत महत्व होता है. इसलिए रंगोली बनाते समय उसकी कलात्मकता के साथ-साथ इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि कला के नाम पर किसी देवी-देवता को हास्यमय अंदाज में प्रस्तुत न करें. रंगों का चयन भी सावधानीपूर्वक करें. काले रंग का इस्तेमाल कत्तई न करें. और रंगोली मुख्य द्वार पर जरूर बनायें.

* दीवाली के दिन बाजार में तरह-तरह के तोरण उपलब्ध होते हैं. फूलों का तोरण है तो उसमें पांच पत्ते आम अथवा अशोक के अवश्य लगा दें. यह बहुत शुभ माना जाता है.

* मुख्य द्वार पर माता लक्ष्मी के पद-कमल लगा रहे हैं तो ऐसे लगाएं कि कदम बाहर से अंदर की ओर जाते हुए दिखे.

मान्यता है कि दीपावली की रात मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं. इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी पूजा हमेशा स्थिर लग्न में होनी चाहिए. वृष और सिंह लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा स्थिर लग्न में करने से उनका स्थायी निवास बन जाता है. इसलिए स्थिर लग्न और प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त होते हैं.

लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त

दिल्ली 06 .43 से 08.14 बजे तक

मुंबई 07. 17 से 08.37 बजे तक

पुणे 07.14 से 08.34 बजे तक

गांधीनगर 07.11 से 08. 36 बजे तक

द्वारका 07. 27 से 08. 51 बजे तक

वाराणसी 06. 26 से 07.53 बजे तक

प्रयागराज 06.31 से 07. 58 बजे तक

मथुरा 06.26 से 07.55 बजे तक

हरिद्वार 06.37 से 08.09 बजे तक

पटना 06.17 से 07. 44 बजे तक

भोपाल 06.52 से 08.17 बजे तक

उज्जैन 06.59 से 08. 23 बजे तक

चंडीगढ़ 06.41 से 08.14 बजे तक

गुरुग्राम 06.45 से 08.15 बजे तक

जयपुर 06.52 से 08.21 बजे तक

पुष्कर 06.45 से 08.19 बजे तक

बता दें कि पूजा शुरू करने से पूर्व मुख्य द्वारा पर बाहर की तरफ हल्दी अथवा रोली से स्वास्तिक के निशान अवश्य बना दें. मान्यता है कि स्वास्तिक के निशान के कारण बाहर की नकारात्मक एनर्जी घर के भीतर प्रवेश नहीं करती.

Share Now

\