Indira Gandhi Death Anniversary: पूर्व प्रधानमत्री इंदिरा गांधी की 36वीं पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें और रोचक तथ्य

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के, जिसे उन्होंने अपने मृत्यु के कुछ दिन पहले ही एक सभा में कहा था. उसके बाद 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इंदिरा गांधी की आज 36वीं पुण्यतिथि है. उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई.

इंदिरा गांधी (Photo Credits: Getty Images)

Indira Gandhi Death Anniversary: "आज यहां हूं.. कल शायद यहां न रहूं. मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं.. देश की चिंता करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है. मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है. मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मजबूत करने में लगेगा." ये शब्द थे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के, जिसे उन्होंने अपने मृत्यु के कुछ दिन पहले ही एक सभा में कहा था. उसके बाद 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इंदिरा गांधी की आज 36वीं पुण्यतिथि है.

लौह महिला कहलाने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने का राजनीतिक सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली. भारत (India) की प्रधानमंत्री-24 जनवरी, 1966 को प्रथम बार, 13 मार्च, 1967 को दूसरी बार और 18 मार्च, 1971 को तीसरी बार शपथ ग्रहण लिया. उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई.

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हालांकि जहां राजनीति उन्हें विरासत में मिली, तो कई ऐसे फैसले उनके कार्यकाल में लिये गये, जिसके वजह से उन्हें देशवासियों के गुस्से और विपक्ष की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा. फिर भी इंदिरा गांधी कभी घबरायी नहीं. बल्कि देश सेवा के लिये हरपल आगे रहीं. इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में एक से बढ़ कर कड़े और बड़े निर्णय लिये, जिसे देख कर विपक्षी नेता भी उनके साहस की सराहना करने लगे थे. यहां तक की चुनावी भाषणों में जिन सरलता से वो मंच बोलती जनता में एक नया जज्बा जगा देती.

कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में इंदिरा गांधी की अपने पिता प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) से टक्कराव भी हुए. प्रश्न केरल की बिगड़ती हुई राजनीतिक स्थिति का था. इंदिरा जी की राय थी कि केरल की इस स्थिति का सुधारने के लिए वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए. सरकार ने ऐसा कदम पहले कभी उठाया नहीं था, इसलिए पं. नेहरू द्विविधा में थे. पर परिस्थिति को जांच परख कर आखिर में उन्हें इंदिरा गांधी की बात माननी पड़ी और केरल में देश का सबसे पहला राष्ट्रपति शासन लागू हुआ.

इंदिरा गांधी का संक्षिप्त परिचय व तथ्य

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