Karwa Chauth Vrat 2024: शुभ मुहूर्त में करें करवाचौथ पूजा! जानें वे दो काम जिनके बिना आपकी पूजा पूरी नहीं हो सकती!

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखा जाता है. इस दिन सूर्योदय पूर्व सास द्वारा दी गई सरगी खाकर सुहागन स्त्रियां करवा चौथ का निर्जला व्रत शुरू करती हैं

Karwa Chauth (Photo Credits: File Image)

Karwa Chauth Vrat 2024:  हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखा जाता है. इस दिन सूर्योदय पूर्व सास द्वारा दी गई सरगी खाकर सुहागन स्त्रियां करवा चौथ का निर्जला व्रत शुरू करती हैं. पूरे दिन व्रत रखते हुए चंद्र-दर्शन के पश्चात पति के हाथों व्रत का पारण करती हैं. यह व्रत पत्नियां पति की लंबी उम्र, अच्छी सेहत तथा सुखी दाम्पत्य जीवन हेतु रखती हैं. इस दिन शिव-परिवार (शिवजी, देवी पार्वती, गणेशजी एवं स्वामी कार्तिकेय) तथा करवा महारानी की पूजा का विधान है. यहां करवा चौथ व्रत की मूल तिथि, पूजा का शुभ के साथ इस दिन की आरती और व्रत कथा की बात करेंगे, क्योंकि मान्यता है कि इनके बिना सुहागन का अनुष्ठान अधूरा रहता है. यह भी पढ़े: Sargi time: जाने करवा चौथ 2024, सरगी का समय, चंद्रोदय का समय और पूजा का मुहूर्त: रानी वीरावती की कहानी से लेकर चंद्रमा के दर्शन से व्रत समाप्ति तक

करवा चौथ 2024 सरगी समय एवं पूजा का शुभ मुहूर्त एवं चंद्रमा का दर्शन काल

सरगी का मुहूर्त

कार्तिक चतुर्दशी को सूर्योदय 06.25 AM (20 अक्टूबर 2024)

सूर्योदय से दो घंटे पूर्व सरगी का विधान होने के कारण सरगी 04.25 AM बजे तक जरूर कर लें.

पूजा का शुभ मुहूर्तः 05.46 PM से 07.02 PM तक पूजा कर सकती हैं

चंद्रोदय कालः 07.58 PM के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं.

करवा चौथ व्रत-कथा

देवी करवा अपने पति संग तुंगभद्रा नदी तट पर रहती थीं. एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए. तभी एक मगरमच्छ उनका पैर पकड़कर नदी में खिंच ने लगा. पति ने मदद हेतु करवा को पुकारा. करवा नदी तट पर पहुंचीं. पति को मगरमच्छ से बचाने के लिए उसने एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व की शक्ति के आग मगरमच्छ बेबस हो गया. लेकिन इससे करवा के पति और मगरमच्छ दोनों संकट में फंस गये थे. करवा ने पति को जीवनदान और मगरमच्छ को मृत्युदण्ड के लिए यमराज को पुकारा. यमराज ने कहा, मैं असमर्थ हूं क्योंकि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है, बल्कि तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है. क्रोधित करवा ने कहा आप ऐसा नहीं करेंगे, तो मैं आपको श्राप दे दूंगी. सती के श्राप के भयभीत यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेजकर पति को जीवन-दान दे दिया. इसके बाद से सुहागन स्त्रियां करवा देवी का व्रत-पूजा कर करवा प्रार्थना करती हैं कि जिस तरह आपने अपने पति को मृत्यु से बचाया, उसी तरह मेरे पति की भी रक्षा करना. इसके बाद से ही करवा चौथ का व्रत एवं पूजा की परंपरा शुरु हुई.

करवा चौथ माता की आरती

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।

यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।

दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।

गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।

व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

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