Kabir Das Jayanti 2024 Messages: हैप्पी कबीर दास जयंती! दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर करें ये हिंदी दोहे, WhatApp Wishes, Facebook Greetings और Quotes
संत कबीर दास जी ने अपने दोहों और विचारों के जरिए मध्यकालीन भारत के जनमानस को प्रभावित किया था. उन्होंने समाज में फैले अंधविश्वास, रूढ़िवादी परंपराओं और पाखंड का विरोध करते हुए इंसानियत को सबसे ऊपर रखा. इस अवसर पर इन मैसेजेस, दोहे, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स को दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर कर उन्हें हैप्पी कबीर दास जयंती कह सकते हैं.
Kabir Das Jayanti 2024 Messages in Hindi: आज (22 जून 2024) देशभर में संत कबीर दास जी की जयंती मनाई जा रही है, जबकि हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को संत कबीर दास जी की जयंती (Sant Kabir Das Jayanti) मनाई जाती है. भारत के महान कवियों और संतों में शुमार संत कबीर दास जी (Sant Kabir Das) ने अपने जीवन काल में समाज में फैली बुराइयों और अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया. उन्होंने अपनी लेखनी के जरिए समाज में फैले आडंबरों पर कड़ा प्रहार किया. एक संत होने के साथ-साथ कबीर दास जी एक महान विचारक और समाज सुधारक के तौर पर भी जाने जाते थे. उन्होंने अपने दोहों के जरिए लोगों को जीवन जीने की सीख दी है और उनके दोहे आज भी काफी प्रचलित हैं. कबीर दास या कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे. उन्होंने अपनी कविताओं और दोहों के माध्यम से न सिर्फ भारतीय जनमानस पर अमिट प्रभाव छोड़ा, बल्कि उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना भी की.
कहा जाता है कि उनका जन्म काशी में सन 1398 में हुआ था. संत कबीर दास जी ने अपने दोहों और विचारों के जरिए मध्यकालीन भारत के जनमानस को प्रभावित किया था. उन्होंने समाज में फैले अंधविश्वास, रूढ़िवादी परंपराओं और पाखंड का विरोध करते हुए इंसानियत को सबसे ऊपर रखा. इस अवसर पर इन मैसेजेस, दोहे, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स को दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर कर उन्हें हैप्पी कबीर दास जयंती कह सकते हैं.
संत कबीर दास जी के जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं. कुछ तथ्यों के आधार पर कहा जाता है कि रामानंद गुरु के आशीर्वाद से उनका जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था, लेकिन लोक-लाज के डर से उन्होंने कबीर दास को काशी में लहरतारा नामक तालाब के पास छोड़ दिया था. जिसके बाद उनकी परवरिश निसंतान नीरू और नीमा नाम के दपंत्ति ने की. वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि कबीर दास जन्म से ही मुस्लिम थे और गुरु रामानंद से उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.