Jyeshtha Gauri Avahana 2021 & Visarjan Dates: कब किया जाएगा ज्येष्ठा गौरी का आह्वान, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और विसर्जन की तिथि
दस दिवसीय गणेशोत्सव के दौरान इस साल ज्येष्ठा गौरी पूजन 12 सितंबर से 14 सितंबर तक मनाया जाएगा. गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश की माता गौरी का आह्वान किया जाता है. गौरा माता पार्वती का ही दूसरा नाम है. ज्येष्ठा गौरी आह्वान और पूजन के बाद 14 सितंबर को ज्येष्ठा गौरी विसर्जन किया जाएगा.
Jyeshtha Gauri Avahana 2021 & Visarjan Dates: गणेशोत्सव (Ganeshotsav) के दौरान महाराष्ट्र (Maharashtra) में ज्येष्ठा गौरी पूजन (Jyeshtha Gauri Pujan) का उत्सव मनाया जाता है. इस व्रत के तीन मुख्य भाग हैं- ज्येष्ठा गौरी आह्वान (Jyeshtha Gauri Avahana), ज्येष्ठा गौरी पूजा (Jyeshtha Gauri Puja) और ज्येष्ठा गौरी विसर्जन (Jyeshtha Gauri Visarjan). इस उत्सव को गौरी पूजा के रूप में भी जाना जाता है. इस साल ज्येष्ठा गौरी पूजन 12 सितंबर से 14 सितंबर तक मनाया जाएगा. गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश की माता गौरी का आह्वान किया जाता है. गौरी माता पार्वती का ही दूसरा नाम है. ज्येष्ठा गौरी आह्वान और पूजन के बाद 14 सितंबर को ज्येष्ठा गौरी विसर्जन किया जाएगा. चलिए जानते हैं ज्येष्ठा गौरी आह्वान, ज्येष्ठा गौरी पूजा और ज्येष्ठा गौरी विसर्जन तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व.
शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठा गौरी आह्वान तिथि- 12 सितंबर 2021
शुभ मुहूर्त- सुबह 09:50 बजे से शाम 06:44 बजे तक.
ज्येष्ठा गौरी पूजन तिथि- 13 सितंबर 2021
पूजा शुभ मुहूर्त- सुबह 08:24 बजे से शाम 06:43 बजे तक
कुल अवधि- 10 घंटे 19 मिनट तक.
ज्येष्ठा गौरी विसर्जन- 14 सितंबर 2021
गौरी विसर्जन मुहूर्त- सुबह 07:05 बजे से शाम 06:42 बजे तक
कुल अवधि- 11 घंटे, 37 मिनट तक.
ज्येष्ठा गौरी पूजन विधि
- ज्येष्ठा गौरी आह्वान के बाद पूजन के दिन देवी की प्रतिमा का पंचामृत और शुद्ध जल से अभिषेक करना चाहिए.
- अभिषेक और स्नान कराने के बाद एक चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर माता की प्रतिमा को स्थापित करें.
- प्रतिमा को स्थापित करने के बाद साड़ी पहनाकर माता गौरी का सोलह श्रृंगार करें.
- माता गौरी के माथे पर हल्दी-कुमकुम और अक्षत लगाकर उन्हें प्रमाण करें.
- गौरी पूजन के दौरान उन्हें 16 प्रकार के व्यंजनों और मिठाइयों का भोग अर्पित करें.
- गौरी पूजन के दौरान माता गौरी के मंत्रों का जप करें, कथा पढ़ें या सुनें और फिर उनकी आरती करें.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में विवाहित महिलाओं द्वारा ज्येष्ठा गौरी पूजन का यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. करीब तीन दिन तक विवाहित महिलाएं माता गौरी का साज-श्रृंगार करके उनकी विशेष पूजा करते हैं. माता गौरी की कृपा पाने के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने खुशहाल जीवन की कामना करती हैं. ज्येष्ठा गौरी पूजन कुंवारी कन्याएं भी करती हैं, माना जाता है कि ऐसा करने से माता गौरी की कृपा से उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिलता है.