International Day of the Girl Child 2019: लड़कियों के सम्मान में मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस, जानिए इसका इतिहास, थीम और महत्व

लिंग अनुपात में असमानता और बालिकाओं के अधिकारों के संरक्षण को लेकर दुनिया भर में जागरूकता लाने के मकसद से हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इस दिन लड़कियों की शिक्षा, पोषण, संरक्षण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, जबरन बाल विवाह से सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाता है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2019 (Photo Credits: File Image)

International Day of the Girl Child 2019: एक ओर जहां महिलाएं (Women) आज हर क्षेत्र में पुरुषों (Men) के साथ कदम मिलाकर चल रही हैं, कामयाबी की बुलंदियों को छू रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ आज भी कई घरों में बेटियों के पैदा होने से पहले ही उन्हें मार दिया जाता है. सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं, बावजूद इसके कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला बदस्तूर जारी है. लिंग अनुपात में असमानता (Gender Inequality) और बालिकाओं के अधिकारों के संरक्षण को लेकर दुनिया भर में जागरूकता लाने के मकसद से हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of the Girl Child) मनाया जाता है. इस दिवस को बालिकाओं का दिन या बालिकाओं का अंतरराष्ट्रीय दिवस भी कहा जाता है.

इस दिन लड़कियों की शिक्षा, पोषण, संरक्षण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, जबरन बाल विवाह से सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाती है. दरअसल, महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें समान अवसर प्रदान करने के निरंतर प्रयासों के बावजूद लिंग आधारित उत्पीड़न के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. चलिए जानते हैं इस दिवस का इतिहास, इस साल का विषय और महत्व.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2019 का थीम

हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के लिए अलग-अलग थीम निर्धारित किए जाते हैं. साल 2019 के लिए गर्ल फोर्स- अनस्क्रिप्टेड एंड अनस्टॉपेबल (GirlForce: Unscripted and Unstoppable) थीम रखा गया है. यह भी पढ़ें: National Girl Child Day 2019: राष्ट्रीय बालिका दिवस आज, 'उज्जवल कल के लिए लड़कियों का सशक्तिकरण' है थीम

इस दिवस का इतिहास और महत्व

'अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस' यानी 'इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड' को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने साल 2012 में की थी. इस दिवस को मनाने के लिए कनाडा द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पेश किया गया था. 19 दिसंबर 2011 को इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए वोटिंग हुई थी और फिर संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाने का फैसला किया. इसके बाद 11 अक्टूबर 2012 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया.

इस दिवस को मनाने का प्रमुख उद्देश्य लड़कियों के विकास के लिए अवसरों को बढ़ावा देना और दुनियाभर में कम होती लड़कियां की संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करना, ताकि लिंग असमानता को खत्म किया जा सके. इसके अलावा इस दिन समाज में लड़कियों के प्रति जागरूकता लाने की कोशिश की जाती है, ताकि उन्हें भी वो अधिकार दिलाए जा सकें जो लड़कों को दिए गए हैं. यह भी पढ़ें: Daughter's Day 2019: बेटियों के लिए बेहद खास है डॉटर्स डे, जानिए क्यों मनाया जाता है यह दिवस और कैसे हुई इसकी शुरुआत

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान 

भारत में बेटियों के घटते अनुपात के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भारत सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया है, ताकि लड़कियां भी लड़कों की तरह पढ़-लिख सकें और अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकें. सरकार के इस पहल का मुख्य उद्देश्य लैंगिक आधार पर लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगाना, बालिकाओं का संरक्षण सुनिश्चित करना और बालिकाओं की शिक्षा व भागीदारी को सुनिश्चित करना है.

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