Holashtak 2020: आज से होलाष्टक शुरू, जानें क्यों किया था शिवजी ने कामदेव को भस्म!
आज से शुरू हुआ होलाष्टक (Photo Credits: Pixabay)

पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी से शुरू होकर होलिका-दहन तक होलाष्टक चलता है. परंपरानुसार इन आठ दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. इस वर्ष यानी 2020 में 3 मार्च से 9 मार्च तक होलाष्टक है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार होलाष्टक के पहले दिन भगवान शिव ने कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया था. ज्योतिष शास्त्र की मानें तो होलाष्टक की अवधि में सभी ग्रह अलग-अलग रूप में उग्र होते हैं. आइये जानते हैं कि होलाष्टक काल में शुभ कार्य नहीं किये जानें की वजह क्या है.

क्यों नहीं करते इन दिनों शुभ कार्य

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली के आठ दिन पहले यानी अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा के दिन तक विष्णु भक्त प्रह्लाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत अधिक यातनाएं दी थीं. धार्मिक कथाओं में उल्लेखित है कि फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी के दिन ही हिरण्यकश्यप के सैनिकों ने प्रह्लाद को बंदी बना लिया गया था. इसके बाद उसे मारने के लिए तरह-तरह के कष्ट दिये जा रहे थे, परंतु प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति के कारण हर बार की यातनाओं से बच जाता था.

यह देखकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जीवित जलाकर मारने के इरादे से बहन होलिका को आज्ञा दी कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ जाए, जब वह जलकर राख हो जाए तो वह अग्निकुण्ड से बाहर आ जाये. लेकिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद से होलिका ही जलकर भस्म हो गयी. मान्यता है कि प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु नर्सिहं रूप में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप का वध किया. प्रह्लाद के यातनाओं भरे उन आठ दिनों को अशुभ मानने की परंपरा है. इसी वजह से इन आठ दिनों तक शुभ कार्य नहीं किये जाते.

एक अन्य कथा के अनुसार कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने की कोशिश की. जिसके बाद भगवान शिव ने कामदेव पर क्रोधित होकर फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को भस्म कर दिया. कामदेव के भस्म होने से संपूर्ण विश्व में शोक व्याप्त हो गया. कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से क्षमा याचना की तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन का आश्वासन दिया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है.

होलाष्टक क्या न करें

* नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है।

* होलाष्टक की अवधि में शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है.

* नया घर बनाना या गृहप्रवेश करना वर्जित है. इसके अलावा भूमि-पूजन भी नहीं करना चाहिए.

* कोई भी यज्ञ या हवन कार्य नहीं करना चाहिए.

* हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार उल्लेखित हैं, इनमें से किसी भी संस्कार को नहीं करना चाहिए.

शुभ मुहूर्त

होलिका दहन मुहूर्तः 06.22 बजे से 08.49 बजे तक

भद्रा पूंछः दिन 09.37 से 10.38 बजे तक

भद्रा मुखः दिन 10.38 बजे से 12.19 बजे तक

रंगवाली होलीः 10 मार्च

पूर्णिमा प्रारंभः प्रातःकाल 03.03 बजे (9 मार्च)

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.