Holi 2020: गोरखपुर में रंगों का उल्लास कराता है बरसाने का अहसास
हजारों लोग, आसमान से रंगों की बारिश, हवा में उड़ते गुलाल. पूरी की पूरी सड़क बिखरे कई तरह के रंग. रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. रथ के आगे-पीछे रंग में सराबोर हजारों लोग.
गोरखपुर: हजारों लोग, आसमान से रंगों की बारिश, हवा में उड़ते गुलाल. पूरी की पूरी सड़क बिखरे कई तरह के रंग. रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. रथ के आगे-पीछे रंग में सराबोर हजारों लोग. यह ²श्य खुद में अनूठा है. कुल मिलाकर यहां की होली का उल्लास और उमंग बरसाने जैसा ही होता है. गोरखपुर की इस होली का नाम है भगवान नरसिंह की रंगभरी शोभायात्रा. रथ पर सवार होकर इसकी अगुआई गोरक्षपीठाधीश्वर करते हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ इस परंपरा को निभाते हैं. रथ को लोग खींचते हैं और रथ के आगे-पीछे हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं. जिस रास्ते से रथ गुजरता है, छत से महिलाएं और बच्चे इस शोभायात्रा पर रंग-गुलाल फेंकती हैं. बदले में इधर से भी उनपर रंग-गुलाल फेंका जाता है.
वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय ने आईएएनएस को बताया कि अनूठी होली की यह परंपरा करीब सात दशक पहले नानाजी देशमुख ने डाली थी. बाद में नरसिंह शोभायात्रा की अगुवाई गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर करने लगे. लोगों के मुताबिक, कारोबार के लिहाज से गोरखपुर का दिल माने जाने वाले साहबगंज से इसकी शुरुआत 1944 में हुई थी. शुरू में गोरखपुर की परंपरा के अनुसार इसमें कीचड़ का ही प्रयोग होता है. हुड़दंग अलग से. अपने गोरखपुर प्रवास के दौरान नानाजी देशमुख ने इसे नया स्वरूप दिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सक्रिय भागीदारी से इसका स्वरूप बदला, साथ ही लोगों की भागीदारी भी बढ़ी.
गोरखपुर के निवासी और कई बार इस यात्रा में भाग ले चुके वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय ने बताया कि "होली के दिन सुबह भगवान नरसिंह की शोभायात्रा घंटाघर चौराहे से शुरू होती है. जाफराबाजार, घासीकटरा, आर्यनगर, बक्शीपुर, रेती चौक और उर्दू होते हुए घंटाघर पर ही जाकर समाप्त होती है. होली के दिन की इस शोभायात्रा से एक दिन पहले घंटाघर से ही होलिका दहन शोभायात्रा निकाली जाती है. इसमें भी गोरक्षपीठाधीश्वर परंपरागत रूप से शामिल होते हैं."