Gita Jayanti 2021 Quotes in Hindi: हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) मनाई जाती है और इसी दिन गीता जयंती (Gita Jayanti) का पर्व भी मनाया जाता है. इस साल गीता जयंती का पर्व आज यानी 14 दिसंबर 2021 को मनाया जा रहा है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में महाभारत (Mahabharat) के युद्ध से ठीक पहले कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने इसी पावन तिथि पर अपने मुख से अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए माना जाता है कि इसी दिन श्रीमद्भगवत गीता का जन्म हुआ था. यही वजह है कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. हालांकि द्वापर युग में श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज के जीवन में हर किसी पर बिल्कुल सटीक बैठता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि श्रीमद्भगवत गीता में इंसान के जीवन का सार छुपा है और इसमें हर व्यक्ति के जीवन की समस्याओं का समाधान स्थित है.
श्रीमद्भगवत गीता में इंसान के जन्म से लेकर मौत तक के चक्र और मृत्यु के बाद के चक्र को विस्तारपूर्वक बताया गया है. कहा जाता है कि गीता में दिए गए उपदेश जीवन के हर मोड़ पर व्यक्ति के मार्गदर्शन में काम आते हैं. ऐसे में गीता जयंती के इस खास अवसर पर आप श्रीमद्भगवत गीता के इन 10 अनमोल उपदेशों को अपनों के साथ शेयर कर सकते हैं, क्योंकि इसमें जीवन का सार छुपा है.
1- वासना, क्रोध और लालच ये तीनों नर्क के द्वार हैं.
2- जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए जो होना ही है उस पर शोक मत करो.
3- जो मन को नियंत्रित नहीं करते हैं, उनके लिए उनका मन शत्रु के समान कार्य करता है.
4- व्यक्ति अपने विश्वास से निर्मित होता है, वो जैसा विश्वास करता है वैसा ही बन जाता है.
5- इंसान की इच्छाएं ही उसकी सभी परेशानियों की जड़ है, इसलिए अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखें.
6- सच्चा मित्र वही होता है जो आपके बुरे वक्त में साथ न छोड़े, दुख और परेशानी में सदा साथ दे.
7- स्वार्थ व्यक्ति को अन्य लोगों से दूर नकारात्मक हालातों की ओर धकेलता है, इसलिए स्वार्थी न बनें.
8- चंचल मन को नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है.
9- जो कर्म प्राकृतिक नहीं है, वह हमेशा तनाव पैदा करता है.
10- अपने कर्म पर अपना दिल लगाएं, उसके फल की चिंता न करें.
दरअसल, श्रीमद्भगवत गीता की बात करें तो इसमें कुल 18 अध्याय हैं, जिसमें पहले के 6 अध्यायों में कर्मयोग, दूसरे के 6 अध्यायों में ज्ञानयोग और आखिरी के 6 अध्यायों में भक्तियोग के उपदेश दिए गए हैं. कुरुक्षेत्र में इन्हीं उपदेशों के जरिए भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मार्गदर्शन किया था. कहा जाता है कि आज भी गीता के ये उपदेश मुश्किल हालात में इंसानों का मार्गदर्शन करने में मददगार साबित होते हैं.