Ganga Saptami 2020 Messages In Hindi: आज (30 अप्रैल 2020) देश भर में गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) का पावन पर्व मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा (Maa Ganga) स्वर्ग लोक से भगवान शिव 9Lord Shiva) की जटाओं में पहुंची थीं, इसलिए इस दिन को गंगा जयंती (Ganga Jayanti) और गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथा के मुताबिक, ऋषि भागीरथ ने राजा सागर के 60,000 बेटों का उद्धार करने, उन्हें कपिल मुनि के श्राप से मुक्ति दिलाने और धरती वासियों की प्यास को बुझाने के लिए कई सालों तक मां गंगा के लिए कठोर तप किया. उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने धरती पर आना स्वीकार किया, लेकिन धरती पर आने से पहले वे वैशाख शुक्ल सप्तमी को भगवान शिव की जटाओं में समाहित हुई थीं.
कहा जाता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से मुनष्य के सारे पाप मिट जाते हैं और उनके लिए मोक्ष का द्वार खुलते हैं. हालांकि इस साल कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन के बीच गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है. ऐसे में आप घर में रहते हुए अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और करीबियों को सोशल मीडिया के जरिए ये शानदार हिंदी जीआईफ इमेजेस, वॉट्सऐप स्टेटस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, विशेज, एसएमएस और एचडी वॉलपेपर्स को भेजकर हैप्पी गंगा सप्तमी कह सकते हैं.
1- बचाकर रखना गंगा को,
जरूरत कल भी बहुत होगी,
यकीनन आने वाली पीढ़ी,
इतनी पाक भी नहीं होगी.
हैप्पी गंगा सप्तमी
2- शिव की जटाओं से निकली गंग धारा,
जिसने पापों से तार दिया जग सारा.
हैप्पी गंगा सप्तमी
3- मैं पतित पावनी गंगा,
रखो तुम मेरा मान,
छोड़कर गुणगान मेरा,
चलाओ स्वच्छता अभियान.
हैप्पी गंगा सप्तमी
4- युगों-युगों से बहती आई,
मैं हूं चिर निरंतर बहती गंगा,
तार दूंगी तुम्हारी पीढ़ियां,
अगर स्वच्छ रहेगा गंगाजल.
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5- जिस प्रकार देवताओं को अमृत,
पितरों को स्वधा और नागों को सुधा तृप्तिकारक है,
उसी प्रकार मनुष्यों को गंगाजल तृप्तिकारक है.
ऐसी पतित पावनी गंगा मैया को प्रणाम है.
हैप्पी गंगा सप्तमी
गौरतलब है कि मां गंगा के प्रचंड वेग को धरती संभाल नहीं सकती थी, लिहाजा उनके वेग को कम करने के लिए भगवान शिव ने मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया. गंगा सप्तमी के दिन भगवान शिव की जटाओं में समाहित होने के बाद ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन गंगा जी का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है. कोरोना संकट के चलते इस बार लोग गंगा में आस्था की डुबकी नहीं लगा सकते हैं, लेकिन वे पवित्र गंगा की बूंदों को अपने नहाने के पानी में डालकर, उससे स्नान करके घर बैठे गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.