Margashirsha Guruvar Vrat 2020: आज है मार्गशीर्ष मास का पहला गुरुवार, जानें महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि और महत्व
आज (17 दिसंबर 2020) मार्गशीर्ष मास का पहला गुरुवार है और इस दिन व्रत रखकर महालक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के नौवें महीने यानी अगहन (मार्गशीर्ष) में देवी महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. इस महीने के प्रत्येक गुरुवार को व्रत रखा जाता है और धन व ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी की उपासना की जाती है.
First Margashirsha Guruvar Vrat 2020: आज (17 दिसंबर 2020) मार्गशीर्ष मास का पहला गुरुवार (First Margashirsha Guruvar) है और इस दिन व्रत रखकर मां महालक्ष्मी (Mahalaxmi) की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के नौवें महीने यानी अगहन (मार्गशीर्ष) में देवी महालक्ष्मी (Maa Mahalaxmi) और भगवान विष्णु )Bhagwan Vishnu) की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. इस महीने के प्रत्येक गुरुवार को व्रत रखा जाता है और धन व ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी की उपासना की जाती है. मार्गशीर्ष गुरुवार व्रत के पर्व को महाराष्ट्र (Maharashtra) में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से भक्तों को मां लक्ष्मी आशीर्वाद मिलता है और इसके साथ ही जीवन में धन, सफलता और सुख-समृद्धि का आगमन होता है. वैसे तो अमावस्या के अगले दिन यानी 15 दिसंबर से मार्गशीर्ष महीने की शुरुआत हो गई है, लेकिन पहला गुरुवार व्रत 17 दिसंबर यानी आज है. चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) पूजा विधि और इसका महत्व.
मार्गशीर्ष गुरुवार व्रत
महाराष्ट्र में मार्गशीर्ष का पवित्र महीना 15 दिसंबर (मंगलवार) से शुरू हो चुका है, जबकि मार्गशीर्ष गुरुवार का पहला व्रत 17 दिसंबर (आज) है और मार्गशीर्ष गुरुवार का आखिरी व्रत 07 जनवरी 2021 को रखा जाएगा, वहीं मार्गशीर्ष का महीना 13 जनवरी 2021 को खत्म होगा.
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह उठकर अपने सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
- अब भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का ध्यान कर व्रत व पूजा का संकल्प लें.
- एक साफ चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें.
- इसके बाद कलश में पानी भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा, अक्षत और सिक्का डालें.
- अब कलश पर आम या अशोक की पांच पत्तियों को रखकर उस पर नारियल रखें.
- फिर चौकी पर कुछ चावल रखकर उसके ऊपर कलश की स्थापना करें.
- अब हल्दी-कुमकुम और फूल-माला अर्पित करके कलश की पूजा करें.
- फिर देवी की प्रतिमा को हल्दी-कुमकुम लगाकर उनका श्रृंगार करें.
- पुष्प, माला, धूप-दीप, मिष्ठान्न से मां लक्ष्मी की पूजा आरंभ करें.
- प्रसाद के रूप में मां लक्ष्मी को मिठाई, खीर और फलों का भोग अर्पित करें.
- महालक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जप करें.
- कथा समाप्त होने के बाद मां लक्ष्मी की आरती करें और सभी को प्रसाद दें. यह भी पढ़ें: Margashirsha Guruvar 2020 Date: मार्गशीर्ष गुरुवार का व्रत कब से हो रहा है शुरू? जानें महालक्ष्मी व्रत की तिथियां, पूजा विधि और महत्व
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
प्राचीन धर्म ग्रंथों में मार्गशीर्ष मास को धार्मिक गतिविधियों के लिए विशेष माना गया है, इसलिए इस महीने को बेहद शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि सतयुग की शुरुआत इसी महीने से हुई थी, इसलिए इस माह पूजा-पाठ जैसे शुभ कार्यों का फल अधिक प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष गुरुवार के व्रत का पालन सूर्योदय से सूर्यास्त तक किया जाता है. कहा जाता है कि मार्गशीर्ष गुरुवार का व्रत रखकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन करने से भक्तों को लक्ष्मी-नारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. देवी लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि और धन-संपदा का आगमन होता है. नवविवाहित जोड़े भी लक्ष्मी-नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन व्रत रखते हैं.