Dr Rajendra Prasad 135th Birth Anniversary: भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के बारें कुछ रोचक तथ्य जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं

आज 3 दिसंबर को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 135 वीं जयंती है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और उन्हें एक बेहतरीन नेता के रूप में जाना जाता है.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद , (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Dr Rajendra Prasad 135th Birth Anniversary: आज 3 दिसंबर को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 135 वीं जयंती है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और उन्हें एक बेहतरीन नेता के रूप में जाना जाता है. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को ज़िरादेई (Ziradei ) में हुआ था, जो अब वर्तमान में बिहार के रूप में जाना जाता है. इनका जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था और एक ये एक होनहार छात्र भी थे. पांच वर्ष की उम्र में ही राजेन्द्र बाबू ने एक मौलवी साहब से फारसी में शिक्षा लेनी शुरू की. उसके बाद वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए छपरा के जिला स्कूल गए. उनके पिता का नाम महादेव सहाय तथा माता का नाम कमलेश्वरी देवी था. उनके पिता संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे एवं माता धर्मपरायण महिला थीं.

उन्हें लोग प्यार से राजेंद्र बाबू कहते थे, उनका विवाह बाल्यकाल में लगभग 13 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी से हो गया था. आज भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 135 वीं जयंती मनाई जा रही है, इस अवसर पर आज हम आपको राजेंद्र प्रसाद की जिंदगी से जुड़े उन तथ्यों के बारे में बताएंगे जिन्हें बहुत ही कम लोग ही जानते होंगे.

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1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपने स्कूली दिनों के दौरान एक उज्ज्वल छात्र थे. उनके विशाल ज्ञान से प्रभावित होकर उनके परीक्षक ने एक बार उनके परीक्षा पत्र पर लिखा परीक्षार्थी, परीक्षक से बेहतर है'.

2. ये बहुत ही कम लोग ही जानते होंगे कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजनीति में कदम रखने से पहले एक शिक्षक और एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.

3. 1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन के दौरान, राजेंद्र प्रसाद ने महात्मा गांधी से मुलाकात की. 1920 में उन्हें गांधी जी के चंपारण तथ्य-खोज मिशन को लीड करने को कहा गया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद गांधीजी से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने एक वकील के रूप में अपना करियर छोड़ दिया और उस समय कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन का समर्थन करने के लिए राजनीति में शामिल हो गए.

4. भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1947 में भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था - वह समिति जिसने भारत का संविधान तैयार किया.

5. डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय इतिहास में एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने दो कार्यकाल पूरे किए हैं. उन्होंने 1952 और 1957 में लगातार राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता.

6. यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत रत्न से सम्मानित हैं. वर्ष 1962 में राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद उन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया.

7. भारत रत्न अवार्ड की शुरुआत राजेंद्र प्रसाद के द्वारा 2 जनवरी 1954 को हुई थी. उस समय तक केवल जीवित व्यक्ति को ही भारत रत्न दिया जाता था. बाद में इसे बदल दिया गया. 1962 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को देश का सर्वश्रेष्ण सम्मान भारत रत्न दिया गया.

8. डॉ. राजेंद्र प्रसाद को साहित्य का भी बहुत शौक था. उनकी कुछ साहित्यिक कृतियों में चंपारण का सत्याग्रह, आत्मकथा और महात्मा गांधी पर लिखी प्रसिद्ध किताब बापू के कदमों में शामिल है.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत में शिक्षा प्रणाली की स्थिति में सुधार करने के लिए एक प्रबल समर्थक थे. यहां तक ​​कि जब वह भारत के राष्ट्रपति थे, तब भी उन्होंने कई मौकों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को इसी मामले पर राजी किया था. अपने जीवन के आखिरी महीने बिताने के लिए उन्होंने पटना के सदाकत आश्रम को चुना. यहां पर 28 फ़रवरी 1963 में उनका निधन हुआ.

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