Diwali 2019 Narak Chaturdashi: इसी दिन हुआ था पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म!

हनुमान जयंती होने के कारण हनुमान जी का मंत्र-पाठ मंत्र-जाप, बजरंग बाण का पाठन आदि करना काफी कल्याणकारी माना जाता है. हनुमान जी को बजरंग-बली इसलिए कहते हैं क्योंकि उनका शरीर वज्र की तरह मजबूत है.

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 26 अक्टूबर शनिवार के दिन नरक चतुर्दशी सम्पन्न होगी (Photo Credits: Pexels)

Diwali 2019 Narak Chaturdashi: दीपावली का महापर्व एक ओर जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम द्वारा रावण का संहार कर अयोध्या वापसी पर ‘विजय पर्व’ के रूप में मनाया जाता है, वहीं उनके सेवक श्री हनुमान जी के साथ भी इसी महापर्व का गहरा संबंध हैं. मान्यता है कि कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिन नरक चतुर्दशी के साथ-साथ हनुमान जयंती भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 26 अक्टूबर 2019 (शनिवार) को यह पर्व मनाया जाएगा. चूंकि यह शनिवार का दिन है, जिसे हनुमान जी की आराधना का विशेष दिन भी माना जाता है, इसलिए पुरोहितों के अनुसार इस बार की हनुमान जयंती का विशेष महात्म्य है. हनुमान जी को रूद्र का ग्याहरवां अवतार माना जाता है.

क्या है व्रत एवं पूजन का विधान

हनुमान जयंती के इस महापर्व के दिन हनुमान भक्त प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर हनुमान जी की व्रत का संकल्प लेते हैं. उसके पश्चात हनुमान जी की षोडशोपचार विधि से पूजन करते हैं. हनुमान जी को लाल रंग के पुष्प चढ़ाना चाहिए. नवैद्य के लिए घी और आटे से बना चूरमा, बेसन के लड्डू और फलों का उपयोग करना चाहिए. इसके अलावा सामर्थ्यानुसार हनुमान जी को सिंदुर का चोला, लाल वस्त्र, ध्वजा आदि भी चढाते हैं. केशर मिला चंदन, धूप, शुद्ध घी का दीपक जलाते हैं, केशर का भोग लगाते हैं. कुछ जगहों पर नारियल और पेड़ों का भोग भी लगाया जाता है. कहा जाता है कि इससे श्री हनुमान शीघ्र प्रसन्न होते है. मान्यता है कि उन्हें दाख-चूरमा भी बहुत पसंद है. अंत में कपूर से हनुमान जी की आरती की जाती है.

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पूजा सम्पन्न होने के पश्चात सुगंधित तेल में सिन्दूर मिलाकर उसका लेप भगवान हनुमान जी को चढ़ाते हैं. रात्रि में सोने से पूर्व चमेली के तेल का दीया जलाएं और सुंदरकाण्ड का पाठ करें. उत्तर भारत में हनुमान जी का जन्म सैकड़ों वर्षों से कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में इनकी जयंती चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाये जाने का विधान है.

आज के दिन का पौराणिक महत्व

वायु पुराण के अनुसार शिव जी के अवतार के रूप में कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन हनुमान जी का जन्म देवी अंजना माता के गर्भ से हुआ था. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान करने से पूरे वर्षृ शुभ-मंगल का योग बना रहता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आज के ही दिन भगवान लक्ष्मी नारायण को प्रसन्न करने के लिए भी व्रत एवं पूजन किया जाता है. बहुत सारे लोग इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा आवश्यक रूप से सुनते हैं.

हनुमान जयंती होने के कारण हनुमान जी का मंत्र-पाठ मंत्र-जाप, बजरंग बाण का पाठन आदि करना काफी कल्याणकारी माना जाता है. हनुमान जी को बजरंग-बली इसलिए कहते हैं क्योंकि उनका शरीर वज्र की तरह मजबूत है. बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग हनुमान चालीसा अथवा सुंदर काण्ड का पाठ भी करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन हनुमान जी ने सोने की लंका को जलाकर राख किया था.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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