Dhanvantari Jayanti 2023 Messages in Hindi: आज (10 नवंबर 2023) से पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत हो गई है और इस पांच दिवसीय उत्सव (Diwali Festival) के पहले पर्व धनतेरस (Dhanteras) यानी धन्वंतरि जयंती (Dhanvantari Jayanti) की पूरे देश में धूम मची हुई है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन्वंतरि जयंती मनाई जाती है और आयुर्वेद के जनक व देवताओं के वैद्य कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि (Bhagwan Dhanvantari) की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. उन्हें भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है, इसलिए अच्छे आरोग्य और निरोगी काया की कामना से धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है.
आयुर्वेद के जनक और आरोग्य के देवता कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि अपनी चार भुजाओ में शंख, चक्र, औषधि और अमृत कलश धारण करते हैं. धन्वंतरि जयंती के दिन ही भारत में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस भी मनाया जाता है. दिवाली उत्सव के पहले पर्व धनतेरस यानी धन्वंतरि जयंती की आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- जीवन में हर ऊंचाई प्राप्त करें आप,
सदा अपनों के साथ रहें आप,
भगवान धन्वंतरि अपनी कृपा रखें आप पर,
हमेशा स्वस्थ और खुशहाल रहें आप.
धन्वंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
2- धन्वंतरि आपके घर में आएं,
स्वास्थ्य और धन सबको दे जाएं,
लक्ष्मी-गणपति-कुबेर का,
हम सभी आशीर्वाद पाएं.
धन्वंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
3- धनतेरस का त्योहार भगवान धन्वंतरि के,
जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है,
जिन्होंने भारत की प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा को प्रतिपादित किया,
भगवान धन्वंतरि आपके जीवन को अरोग्यता तथा सुख समृद्धि पूर्ण रखे.
धन्वंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
4- असुर पराजय, देवता विजय दिवस,
लक्ष्मी वास, लक्ष्मी कृपा, जय घोष दिवस,
अमृत पायो देवता और जीवन पायो राजकुमार,
सुख-समृद्धि, धन-वृद्धि और देव दिवस.
धन्वंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
5- धन्वंतरि जयंती का शुभ दिन आया,
सबके लिए नई खुशियां है लाया,
भगवान धन्वंतरि आएं आपके घर,
आपको मिले अच्छी सेहत का वरदान.
धन्वंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने समुद्र से निकले हलाहल का पान किया था, तब अमृत कलश धारण करने वाले भगवान धन्वंतरि ने ही उन्हें अमृत दिया था, इसलिए अच्छे आरोग्य की कामना से धन्वंतरि जयंती पर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसके साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की पूजा की जाती है.