Dhanteras Shopping Guide 2025: धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं? भूलकर भी ना करें ये गलतियां, वरना नाराज हो सकती हैं मां लक्ष्मी!
धनतेरस का पर्व इस साल 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा, जिसमें भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा कर आरोग्य और समृद्धि की कामना की जाती है. इस शुभ दिन पर सोना, चांदी, पीतल के बर्तन, झाड़ू और धनिया जैसी चीजें खरीदना सौभाग्य लाता है.
धनतेरस में क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं? दिवाली का पांच दिवसीय महापर्व जब भी आता है, अपने साथ उमंग, उत्साह और रोशनी लेकर आता है. इस उत्सव की पहली किरण, पहली मंगल ध्वनि है धनतेरस. यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है, वह पहला दीया है जो हमारे जीवन में सुख-समृद्धि के आगमन की घोषणा करता है. धनतेरस (Dhanteras 2025) का नाम सुनते ही मन में खरीदारी की खुशी दौड़ जाती है—नए बर्तन, चमकते गहने और घर के लिए नई-नई वस्तुएं. लेकिन यह पर्व सिर्फ 'धन' यानी संपत्ति खरीदने तक ही सीमित नहीं है, इसका गहरा संबंध 'आरोग्य' यानी अच्छे स्वास्थ्य से भी है, जिसके देवता भगवान धन्वंतरि हैं.
हर साल की तरह इस साल भी आप धनतेरस की खरीदारी की तैयारी कर रहे होंगे. आपके मन में यह सवाल ज़रूर होगा कि इस शुभ दिन पर ऐसा क्या खरीदें जिससे घर में मां लक्ष्मी की कृपा बरसे और क्या खरीदने से बचें ताकि कोई अशुभता घर में प्रवेश न करे. आपकी इसी दुविधा को दूर करने और आपकी खरीदारी को मंगलकारी बनाने के लिए यह एक संपूर्ण मार्गदर्शिका है. आइए, जानते हैं धनतेरस 2025 की सही तारीख, पूजा और खरीदारी के शुभ मुहूर्त, और उन सभी शुभ-अशुभ वस्तुओं की पूरी सूची जो आपके इस त्योहार को और भी खास बना देगी.
धनतेरस 2025: सही तारीख और शुभ मुहूर्त
हर साल की तरह, इस वर्ष भी धनतेरस की तिथि को लेकर थोड़ा भ्रम हो सकता है, क्योंकि त्रयोदशी तिथि दो दिनों तक फैली हुई है. लेकिन शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस का पर्व उस दिन मनाया जाता है जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में मौजूद हो 5. इस नियम के अनुसार, धनतेरस 2025 का पर्व शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
इसकी वजह यह है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे शुरू होगी और 19 अक्टूबर को दोपहर 01:51 बजे समाप्त होगी 1. चूंकि 18 अक्टूबर की शाम को प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि रहेगी, इसलिए पूजा और उत्सव के लिए यही दिन सबसे उत्तम है.
हालांकि, त्योहार का पालन दो अलग-अलग हिस्सों में देखा जा सकता है: एक है धार्मिक अनुष्ठान (पूजा) और दूसरा है खरीदारी. जहां पूजा का समय 18 अक्टूबर की शाम को प्रदोष काल से जुड़ा है, वहीं खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त की खिड़की अधिक लचीली है और 19 अक्टूबर तक फैली हुई है. यह आधुनिक जीवनशैली के लिए एक व्यावहारिक अनुकूलन है, जो उन लोगों को भी खरीदारी का शुभ अवसर प्रदान करता है जो 18 तारीख को व्यस्त हो सकते हैं. आध्यात्मिक रूप से पर्व का मूल 18 अक्टूबर की शाम को स्थिर है, लेकिन भौतिक पहलू में एक सुविधाजनक लचीलापन है.
आपकी सुविधा के लिए, धनतेरस 2025 से जुड़े सभी महत्वपूर्ण समय नीचे दी गई तालिका में दिए गए हैं:
| विवरण (Particulars) | तिथि (Date) | समय (Time) |
| त्रयोदशी तिथि प्रारंभ | 18 अक्टूबर, 2025 | दोपहर 12:18 PM |
| त्रयोदशी तिथि समाप्त | 19 अक्टूबर, 2025 | दोपहर 01:51 PM |
| धनतेरस पूजा मुहूर्त | 18 अक्टूबर, 2025 | शाम 07:16 PM से 08:20 PM |
| प्रदोष काल | 18 अक्टूबर, 2025 | शाम 05:48 PM से 08:20 PM |
| वृषभ काल | 18 अक्टूबर, 2025 | शाम 07:16 PM से 09:11 PM |
| 18 अक्टूबर को खरीदारी के मुहूर्त | 18 अक्टूबर, 2025 | दोपहर 12:20 PM से 04:22 PM (लाभ, अमृत चौघड़िया) |
| शाम 05:48 PM से 07:23 PM (लाभ चौघड़िया) | ||
| 19 अक्टूबर को खरीदारी के मुहूर्त | 19 अक्टूबर, 2025 | सुबह 07:50 AM से दोपहर 12:06 PM (चर, लाभ, अमृत चौघड़िया) |
खंड 2: क्यों मनाया जाता है धनतेरस? जानिए पौराणिक कथाएं और महत्व
धनतेरस पर खरीदारी की परंपरा सिर्फ एक रिवाज नहीं है, इसके पीछे गहरी पौराणिक कथाएं और मान्यताएं छिपी हैं जो इस पर्व को और भी सार्थक बनाती हैं. यह त्योहार केवल एक उद्देश्य के लिए नहीं है, बल्कि यह मानव कल्याण की एक समग्र "त्रिमूर्ति" का जश्न मनाता है: भगवान धन्वंतरि से आरोग्य (स्वास्थ्य), देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर से ऐश्वर्य (धन), और यम दीपम परंपरा से आयु (दीर्घायु).
भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य: स्वास्थ्य का वरदान
धनतेरस की सबसे प्रमुख कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण देवता शक्तिहीन हो गए और असुरों ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया. तब भगवान विष्णु ने देवताओं को असुरों के साथ मिलकर क्षीर सागर का मंथन करने की सलाह दी ताकि अमृत प्राप्त हो सके.
मंथन के दौरान समुद्र से कई दिव्य रत्न निकले, और अंत में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन, भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत से भरा कलश और आयुर्वेद के ग्रंथ लेकर प्रकट हुए. भगवान धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य और चिकित्सा का देवता माना जाता है. उनके प्राकट्य के कारण ही इस दिन को 'धन्वंतरि त्रयोदशी' या 'धनतेरस' कहा जाता है. यह कथा हमें याद दिलाती है कि सच्चा धन अच्छा स्वास्थ्य है. इसी महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मान्यता दी है.
धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर का पूजन
समुद्र मंथन के दौरान ही देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं, जिस कारण धनतेरस का संबंध धन और समृद्धि से भी जुड़ गया. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और देवताओं के खजांची भगवान कुबेर की पूजा की जाती है ताकि घर में धन-धान्य की कोई कमी न हो. एक और कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक बार देवी लक्ष्मी को श्राप दिया था कि उन्हें 12 वर्षों तक एक गरीब किसान के घर सेवा करनी होगी. लक्ष्मी जी के उस घर में रहने से किसान का घर धन-धान्य से भर गया. 12 वर्ष पूरे होने पर जब विष्णु जी उन्हें लेने आए, तो किसान ने उन्हें रोकना चाहा. तब लक्ष्मी जी ने कहा कि कल त्रयोदशी है, तुम घर साफ करके, दीपक जलाकर मेरी पूजा करना, तो मैं साल भर तुम्हारे घर में रहूंगी. तब से इस दिन लक्ष्मी पूजन की परंपरा शुरू हुई.
यम दीपम: अकाल मृत्यु से रक्षा
धनतेरस की शाम को घर के बाहर दक्षिण दिशा में यमराज के नाम का एक दीपक जलाने की भी परंपरा है, जिसे 'यम दीपम' कहते हैं. इसके पीछे मान्यता यह है कि एक बार यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी किसी के प्राण हरते हुए तुम्हें दया आई है? दूतों ने राजा हिमा के पुत्र की कथा सुनाई, जिसकी मृत्यु विवाह के चौथे दिन सर्पदंश से होनी तय थी. उसकी पत्नी ने उस रात पूरे महल को दीपकों से रोशन कर दिया और पति को सोने नहीं दिया. जब यमराज सर्प के रूप में आए, तो दीपकों की चकाचौंध से अंधे हो गए और राजकुमार के प्राण नहीं ले सके. तभी से यह मान्यता है कि धनतेरस की शाम यम के नाम का दीपक जलाने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.
इस प्रकार, यह त्योहार हमें सिखाता है कि सच्ची समृद्धि अच्छे स्वास्थ्य, पर्याप्त धन और लंबे जीवन के संतुलन से ही प्राप्त होती है.
धनतेरस पर क्या खरीदें? सौभाग्य और समृद्धि लाने वाली वस्तुओं की पूरी सूची
धनतेरस की खरीदारी एक प्रतीकात्मक कार्य है, जहां हम अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आमंत्रित करते हैं. खरीदी जाने वाली वस्तुएं केवल सामान नहीं होतीं, बल्कि वे विशेष प्रतीकात्मक श्रेणियों में आती हैं: धन को कई गुना बढ़ाने वाली, स्वास्थ्य और पवित्रता का प्रतीक, नकारात्मकता को दूर करने वाली, विकास और समृद्धि का प्रतीक, और दिव्य कृपा को आकर्षित करने वाली.
- सोना और चांदी (Gold and Silver): ये धन और वैभव के परम प्रतीक हैं. मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई मूल्यवान वस्तुओं में 13 गुना वृद्धि होती है. सोना देवी लक्ष्मी और बृहस्पति ग्रह का प्रतीक है, जबकि चांदी को अत्यंत शुद्ध धातु माना जाता है जिस पर किसी प्रकार का दोष नहीं लगता. आप अपनी क्षमता के अनुसार सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण या कोई छोटी वस्तु खरीद सकते हैं.
- पीतल और तांबे के बर्तन (Brass and Copper Utensils): यह खरीदारी सीधे भगवान धन्वंतरि को एक श्रद्धांजलि है, जो अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे. यदि सोना खरीदना संभव न हो, तो पीतल के बर्तन खरीदना एक उत्कृष्ट विकल्प है क्योंकि यह बृहस्पति का भी प्रतीक है और घर में आरोग्य लाता है.
- झाड़ू (Broom): यह एक साधारण लेकिन बहुत शक्तिशाली खरीद है. झाड़ू घर से दरिद्रता, नकारात्मकता और आर्थिक परेशानियों को बाहर निकालने का प्रतीक है. यह मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर को स्वच्छ और पवित्र बनाने का संकेत देती है.
- साबुत धनिया (Coriander Seeds): धनिया कृषि समृद्धि और बढ़ते धन का प्रतीक है. इसे धनतेरस पर खरीदकर दिवाली के दिन मां लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है और बाद में बगीचे में बो दिया जाता है. माना जाता है कि अगर धनिया से स्वस्थ पौधा उगता है, तो आने वाला साल आर्थिक रूप से बहुत समृद्ध होता है.
- नमक (Salt): यह एक और सस्ती लेकिन महत्वपूर्ण वस्तु है. माना जाता है कि नमक नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है और घर में सुख-शांति लाता है. इस दिन नमक का एक पैकेट खरीदने से घर में साल भर संपन्नता और स्वाद बना रहता है.
- गोमती चक्र और कौड़ियां (Gomti Chakra and Cowrie Shells): ये वस्तुएं देवी लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय मानी जाती हैं. इस दिन 11 गोमती चक्र या कौड़ियां खरीदकर, उनकी पूजा करके अपनी तिजोरी या कैश बॉक्स में रखने से धन आकर्षित होता है.
- गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति (Lakshmi-Ganesh Idols): दिवाली की मुख्य पूजा के लिए गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां धनतेरस पर ही खरीद लेना शुभ माना जाता है. यह इस बात का प्रतीक है कि आप त्योहार के लिए देवताओं को अपने घर आमंत्रित कर रहे हैं. ध्यान दें कि मूर्तियां मिट्टी या धातु की हों, प्लास्टर ऑफ पेरिस की नहीं, और बैठी हुई मुद्रा में हों.
- हल्दी की गांठ (Turmeric Root): साबुत हल्दी अत्यंत शुभ मानी जाती है और इसका संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है. इसे खरीदकर अपनी तिजोरी में रखने से धन की वृद्धि होती है.
- शमी का पौधा (Shami Plant): यह एक पवित्र पौधा है जो भगवान शिव और शनिदेव दोनों को प्रिय है. धनतेरस पर इसे घर लाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और वाहन (Electronics and Vehicles): आधुनिक समय में त्योहार का स्वरूप भी बदला है. अब लोग इस दिन मोबाइल, लैपटॉप, फ्रिज या नई गाड़ी खरीदना भी शुभ मानते हैं. यह जीवन में नई सुविधा और प्रगति लाने का प्रतीक बन गया है.
धनतेरस पर क्या न खरीदें? इन चीज़ों को घर लाने से बचें
जिस तरह शुभ वस्तुओं को घर लाना महत्वपूर्ण है, उसी तरह कुछ अशुभ वस्तुओं को खरीदने से बचना भी उतना ही आवश्यक है. इसके पीछे का सिद्धांत ऊर्जा के आकर्षण पर आधारित है: आप जिस तरह की ऊर्जा वाली वस्तु घर लाते हैं, वैसी ही ऊर्जा को आकर्षित करते हैं. नीचे दी गई सूची उन वस्तुओं की है जो नकारात्मकता, अस्थिरता या दुर्भाग्य का प्रतीक हैं, और धनतेरस पर इनसे बचना चाहिए.
- लोहा, स्टील और एल्युमिनियम (Iron, Steel, and Aluminum): ज्योतिष में लोहे का संबंध शनि ग्रह से माना जाता है, जो कष्ट और दुर्भाग्य का कारक है. इसलिए धनतेरस के शुभ दिन पर लोहा खरीदना अशुभ माना जाता है. स्टील भी लोहे का ही एक रूप है, इसलिए स्टील के बर्तन या सामान खरीदने से भी बचना चाहिए. एल्युमिनियम का संबंध राहु से माना जाता है, इसलिए इसे भी खरीदना शुभ नहीं है.
- नुकीली और धारदार वस्तुएं (Sharp and Pointed Objects): चाकू, कैंची, सुई, पिन जैसी कोई भी नुकीली या धारदार चीज इस दिन नहीं खरीदनी चाहिए. ये वस्तुएं घर में दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती हैं और समृद्धि के प्रवाह को काट देती हैं.
- कांच का सामान (Glass Items): कांच का संबंध भी राहु ग्रह से माना जाता है. यह बहुत नाजुक होता है और टूटने का डर रहता है, जो अशुभता का संकेत है. इस दिन कांच के बर्तन या सजावटी सामान खरीदने से बचें.
- प्लास्टिक की वस्तुएं (Plastic Items): प्लास्टिक को स्थायी धन का प्रतीक नहीं माना जाता है. यह कोई शुभ ऊर्जा नहीं लाता, इसलिए इस दिन धातु या मिट्टी से बनी चीजें खरीदना बेहतर है.
- काले रंग की वस्तुएं (Black-Colored Items): हिंदू धर्म में काला रंग शोक और अशुभता का प्रतीक माना जाता है. धनतेरस रोशनी और खुशी का त्योहार है, इसलिए इस दिन काले रंग के कपड़े या कोई भी अन्य वस्तु खरीदने से बचना चाहिए.
- तेल और घी (Oil and Ghee): दीये जलाने के लिए तेल और घी आवश्यक हैं, लेकिन सलाह दी जाती है कि इन्हें धनतेरस से एक या दो दिन पहले ही खरीद लें. मान्यता है कि इस दिन इन्हें खरीदने से घर में आर्थिक तंगी आ सकती है.
- खाली बर्तन (Empty Vessels): यह एक बहुत महत्वपूर्ण नियम है. यदि आप धनतेरस पर कोई बर्तन (जैसे लोटा, पतीला या कलश) खरीदते हैं, तो उसे घर में खाली लेकर न आएं. घर में प्रवेश करने से पहले उसे पानी, चावल, चीनी या किसी मिठाई से भर लें. खाली बर्तन घर में खालीपन का संकेत देता है, जबकि भरा हुआ बर्तन सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है.
धनतेरस का सच्चा अर्थ - स्वास्थ्य, समृद्धि और सद्भाव
धनतेरस दिवाली के पांच दिवसीय महापर्व की एक खूबसूरत और मंगलमयी शुरुआत है. यह हमें याद दिलाता है कि जीवन की सच्ची दौलत केवल भौतिक संपत्ति नहीं, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, परिवार की सुरक्षा और एक लंबा, सुखी जीवन है. इस दिन की जाने वाली खरीदारी केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य और समृद्धि को अपने घर और जीवन में आमंत्रित करने का एक प्रतीकात्मक अनुष्ठान है.
जब आप इस धनतेरस पर खरीदारी के लिए निकलें, तो इन बातों को ध्यान में रखें. अपनी खरीदारी को सोच-समझकर और श्रद्धा के साथ करें, ताकि आप अपने घर केवल वस्तुएं ही नहीं, बल्कि सुख, शांति और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी लेकर आएं. आपको धनतेरस और आने वाले दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!